केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय गन्ना आयुक्तों से सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से नीचे चीनी की बिक्री कर रही मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। चीनी मिलों को नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें ऐसे समय में किसानों से गन्ना खरीद के लिए निर्धारित कीमतों पर भुगतान भी करना है जब चीनी की भरमार है और वे भारी-भरकम बकाये के बोझ से दबी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ भाजपा से किसानों के बकाया भुगतान को लेकर दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि इसमें विफल रहने पर गन्ना किसान अप्रैल-मई में हो रहे आम चुनाव में केंद्र सरकार के खिलाफ जा सकते हैं।
दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत ने मिलों और किसानों की मदद के लिए पिछले साल चीनी के लिए आधार मूल्य तय किया था। पिछले महीने सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 2,900 रुपये से बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति 100 किलोग्राम किया था, लेकिन इस आदेश के बावजूद कई मिलों ने एमएसपी से नीचे चीनी की बिक्री की जिससे मूल्य से संबंधित पहल कमजोर हुई है। केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने राज्य के गन्ना आयुक्तों को 20 मार्च को भेजे पत्र में कहा, 'आपके राज्य की चीनी मिलों को व्हाइट/रिफाइंड चीनी के एमएसपी के संबंध में सरकार के निर्देशों पर सख्ती से पालने करने की सलाह दी जा सकती है और शुगर प्राइस (कंट्रोल) ऑर्डर के उल्लंघन पर कार्रवाई की जा सकती है।' पत्र में मंत्रालय ने लिखा है कि कुछ मिलें एमएसपी से नीचे चीनी बेच रही थीं जबकि कुछ अन्य राष्टï्रव्यापी बिक्री कर जोड़कर एमएसपी पर इसकी बिक्री कर रही हैं, जो निर्देश का उल्लंघन है।