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आधार मूल्य से नीचे चीनी की बिक्री पर लगेगी लगाम
Date: 28 Mar 2019
Source: Business Standard
Reporter: Reuters
News ID: 36122
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केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय गन्ना आयुक्तों से सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से नीचे चीनी की बिक्री कर रही मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। चीनी मिलों को नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें ऐसे समय में किसानों से गन्ना खरीद के लिए निर्धारित कीमतों पर भुगतान भी करना है जब चीनी की भरमार है और वे भारी-भरकम बकाये के बोझ से दबी हुई हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ भाजपा से किसानों के बकाया भुगतान को लेकर दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि इसमें विफल रहने पर गन्ना किसान अप्रैल-मई में हो रहे आम चुनाव में केंद्र सरकार के खिलाफ जा सकते हैं।

दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत ने मिलों और किसानों की मदद के लिए पिछले साल चीनी के लिए आधार मूल्य तय किया था। पिछले महीने सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 2,900 रुपये से बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति 100 किलोग्राम किया था, लेकिन इस आदेश के बावजूद कई मिलों ने एमएसपी से नीचे चीनी की बिक्री की जिससे मूल्य से संबंधित पहल कमजोर हुई है। केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने राज्य के गन्ना आयुक्तों को 20 मार्च को भेजे पत्र में कहा, 'आपके राज्य की चीनी मिलों को व्हाइट/रिफाइंड चीनी के एमएसपी के संबंध में सरकार के निर्देशों पर सख्ती से पालने करने की सलाह दी जा सकती है और शुगर प्राइस (कंट्रोल) ऑर्डर के उल्लंघन पर कार्रवाई की जा सकती है।' पत्र में मंत्रालय ने लिखा है कि कुछ मिलें एमएसपी से नीचे चीनी बेच रही थीं जबकि कुछ अन्य राष्टï्रव्यापी बिक्री कर जोड़कर एमएसपी पर इसकी बिक्री कर रही हैं, जो निर्देश का उल्लंघन है।

 
चीनी कीमत नियंत्रण आदेश सरकार को चीनी मिलों में तलाशी लेने, और जुर्माना लगाने की अनुमति देता है जिसमें उल्लंघन करने वाली मिलों के स्टॉक की संभावित जब्ती भी शामिल है। भारत ने पिछले वर्ष दबाव से जूझ रहे चीनी उद्योग को कई रियायतें मुहैया कराईं, लेकिन मिलों पर अभी भी 200 अरब रुपये से अधिक का गन्ना बकाया है, क्योंकि परिष्कृत चीनी की कीमतें उत्पादन लागत से नीचे पहुंच गई हैं। देश में प्रमुख चीनी मिलों में बलरामपुर चीनी मिल्स, बजाज हिंदुस्तान और श्री रेणुका शुगर्स शामिल हैं। सरकार की सख्ती को देखते हुए चीनी मिलों के संगठन नैशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने इस सप्ताह अपने सदस्यों को नियमों का पालन करने के संबंध में पत्र लिखा। 
 
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनावरे ने कहा, 'नकदी की किल्लत की वजह से कुछ मिलें एमएसपी से नीचे बिक्री कर रही थीं। कुछ मिलों पर चीनी के बढ़ते स्टॉक से दबाव पैदा हुआ है।' उद्योग के अधिकारियों के अनुसार महाराष्टï्र में गन्ना आयुक्त ने एमएसपी से नीचे चीनी की बिक्री पर विचार-विमर्श के लिए गुरुवार को चीनी मिल प्रतिनिधियों को बुलाया है। महाराष्टï्र राज्य सहकारिता चीनी फैक्टरी संघ के प्रबंध निदेशक संजय खटल ने कहा, 'गुरुवार की बैठक में महाराष्टï्र के चीनी आयुक्त इसकी समीक्षा करेंगे कि चीनी मिलें किस तरह से कानून का उल्लंघन कर रही हैं।' मिलों को अतिरिक्त चीनी का निर्यात करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि वैश्विक कीमतें स्थानीय भाव के मुकाबले काफी कम हैं। निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को बंदरगाहों से उनकी दूरी के आधार पर 1,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति टन तक की ढुलाई सब्सिडी भी दी है। 
 
  

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