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मासिक कोटा बढऩे से चीनी में गिरावट
Date: 07 Mar 2019
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 36044
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चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट से सरकार द्वारा मिलों को दी गई मदद का लाभ कम हो जाएगा। सरकार ने मिलों को गन्ने के बढ़ते बकाये का भुगतान करने और इस मूल्य शृंखला में पूंजी उपलब्धता की स्थिति सुधारने के लिए मदद दी है। 

सरकार ने मार्च 2019 के लिए 24.5 लाख टन चीनी के अब तक के सबसे अधिक मासिक कोटे की घोषणा की है। इसके बाद पिछले दो सप्ताह में चीनी के दाम तीन फीसदी घट गए हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने जनवरी और फरवरी 2019 में क्रमश: 18.5 लाख टन और 21 लाख टन चीनी के कोटे का आवंटन किया था। 

 

मासिक कोटे में भारी बढ़ोतरी से हाजिर बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ गई है, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट आई है। सरकार जून 2018 से मिलों के लिए खुले बाजार में चीनी बिक्री का मासिक कोटा तय कर रही है। मार्च में सबसे अधिक कोटा तय किया गया है, जिससे हाजिर बाजार में चीनी के दाम एक रुपया प्रति किलोग्राम घट गए हैं। 

 

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'मार्च 2019 में बिक्री के लिए सबसे अधिक कोटा तय किए जाने से चीनी के दाम एक रुपया प्रति किलोग्राम कम हो गए हैं। इसका मिलों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और हाल में सरकार की तरफ से उठाए गए कुछ कदमों से मिलने वाला फायदा निष्प्रभावी हो जाएगा।'

 

इसके विपरीत चार चीनी कंपनियों - धामपुर शुगर मिल्स, डालमिया भारत शुगर ऐंड इंडस्ट्रीज, बलरामपुर चीनी मिल्स और त्रिवेणी इंजीनियरिंग ऐंड इंडस्ट्रीज के शेयर आज बंबई शेयर बाजार में 52 सप्ताह के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए। मुंबई के पास वाशी थोक मंडी में चीनी एम का भाव 32.80 रुपये  है, जो दो सप्ताह पहले 33.80 रुपये प्रति किलोग्राम के हालिया ऊंचे स्तर से एक रुपया कम है। हालांकि कीमतों में इस गिरावट की वजह बाजार में चीनी की भरपूर आपूर्ति के कारण कमजोर रुझान हो सकता है। 

 

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कई कदम उठाए हैं। पहला, सरकार ने फरवरी में न्यूनतम बिक्री कीमत दो रुपये बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है। इसका मकसद मिलों के पास पूंजी उपलब्धता में 5,000 रुपये की बढ़ोतरी करना है। इस समय मिलों के पास 170 लाख टन चीनी का स्टॉक है। वहीं आगे 70 लाख टन चीनी का और उत्पादन होने का अनुमान है। 

 

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का अनुमान है कि एमएसपी में बढ़ोतरी से गन्ने के बकाये में चीनी सीजन 2018-19 में करीब 3,400 करोड़ रुपये की कमी आएगी। उनके इस अनुमान में यह माना गया है कि दो रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी का इस्तेमाल गन्ना बकाया भुगतान में होता। 

 

दूसरा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने चीनी उद्योग के लिए 7,900 से 10,540 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन को मंजूरी दी है ताकि मिलें अपना बकाया चुका सकें और उनके पास पूंजी उपलब्धता में सुधार आए। इस योजना के तहत सरकार एक साल के लिए 553 करोड़ रुपये से 1,054 करोड़ रुपये तक की राशि पर ब्याज में सात से 10 फीसदी छूट का बोझ उठाएगी। हालांकि सरकार ने साफ किया है कि यह सॉफ्ट लोन केवल उन मिलों को मिलेगा, जिन्होंने अक्टूबर, 2018 से शुरू हुए चालू सीजन में बकाये का कम से कम 25 फीसदी भुगतान कर दिया है। 

 

इस बीच केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने अनुमान जताया है कि 1 अक्टूबर, 2018 से 22 फरवरी, 2019 के बीच कुल गन्ना बकाया 20,159 करोड़ रुपये है। यह बकाये का रिकॉर्ड स्तर है और ऐसा फरवरी के महीने में कभी नहीं देखने को मिला। मंत्रालय को उम्मीद है कि सॉफ्ट लोन और एमएसपी में बढ़ोतरी से गन्ने के बकाये के जल्द भुगतान में मदद मिलेगी।               

 
  

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