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News
रियायती कर्ज की राहत से चीनी शेयरों में बढ़ोतरी
Date:
02 Mar 2019
Source:
The Business Standard
Reporter:
Dilip Jha
News ID:
36040
Pdf:
Nlink:
चीनी कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को 10 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। सरकार ने मिलों को गन्ना बकाया चुकाने में मदद के लिए उन्हें सस्ता कर्ज मुहैया कराने का फैसला किया है, जिससे चीनी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है। धारिणी शुगर्स के शेयर की कीमत आज 9.4 फीसदी बढ़कर 12.80 रुपये पर पहुंच गई। वहीं शक्ति शुगर्स का शेयर 5.85 फीसदी बढ़कर 10.85 रुपये पर पहुंच गया। त्रिवेणी इंजीनियरिंग और द्वारिकेश शुगर्स के शेयर क्रमश: 5.18 फीसदी और 4.49 फीसदी चढ़कर 57.90 रुपये और 30.25 रुपये पर बंद हुए।
देश में चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसकी वजह से उद्योग इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहा है। भारी स्टॉक, चालू सीजन में अत्यधिक उत्पादन और निर्यात के लिए विदेश में कमजोर मांग के कारण चीनी मिलों की आर्थिक हालात खस्ताहाल है। चीनी मिलों के नकदी के वर्तमान संकट से निपटने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने गुरुवार को 7,900 से 10,540 करोड़ रुपये के रियायती ऋण पैकेज को मंजूरी दी। श्री रेणुका शुगर्स के वाइस चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा, 'उद्योग का अनुमान है कि चीनी मिलें इस रियायती ऋण फंड में से 700 से 800 करोड़ रुपये लेंगी, जिसका इस्तेमाल स्टॉक रखने की लागत के भुगतान में किया जाएगा। कार्यशील पूंजी पर 11 फीसदी सालाना ब्याज के हिसाब से इन्वेंट्री को रखने पर कुल लागत का एक फीसदी खर्च आता है। यह कंपनी के लिए बड़ा बोझ बन जाता है। इसलिए रियायती ऋण पैकेज चीनी मिलों के लिए बड़ी राहत है।' रियायती ऋण योजना के तहत सरकार किसानों के फायदे के लिए हर साल 7 से 10 फीसदी ब्याज दर में छूट का बोझ खुद उठाएगी, जिससे उस पर 553 से 1,054 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सीसीईए ने चीनी मिलों को गन्ने का बकाया चुकाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा है कि मंजूूर रियायती ऋण उन इकाइयों को मुहैया कराए जाएंगे, जिन्होंने चीनी सीजन 2018-19 में अपने बकाये का कम से कम 25 फीसदी हिस्सा चुका दिया है। गन्ने का कुल बकाया 23,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
सरकार हाल में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में 2 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी कर चुकी है। सरकार का अनुमान है कि इस कदम से मिलों को करीब 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'रियायती ऋण को मंजूरी से गन्ना किसानों को भुगतान करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस उपाय से उद्योग को तात्कालिक राहत मिलेगी क्योंकि मिलों को यह ऋण भविष्य में लौटाना होगा। इस तरह यह सवाल पैदा होता है कि सरकार कब तक उद्योग को पैकेज या रियायती ऋण मुहैया कराती रहेगी। इसलिए चीनी और गन्ने की कीमतों के अंतर पर काम करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ताकि गन्ना भुगतान की समस्या का समाधान किा जा सके।'
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