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एमएसपी से नीचे चीनी बेच रहीं मिलें
Date: 01 Mar 2019
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 36031
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महाराष्ट्र में दर्जनों सहकारी चीनी मिलें न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) से कम पर चीनी बेच रही हैं। किसानों को गन्ना बकाये का भुगतान करने के लिए अपने नकदी प्रवाह को बढ़ाने और खरीद में आई कमी से निपटने के लिए ऐसा किया जा रहा है। हालांकि ये मिलें एमएसपी की दर से बिल बना रही हैं और विनियामक की नजरों से बचने के लिए ये खरीदारों को नकद प्रोत्साहन दे रही हैं। कानून के तहत एमएसपी से कम पर चीनी बेचना अपराध है। इसलिए मिलें इस गलत काम में सरकार के हाथों पकड़े जाने से बचने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं।
 
राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे ने कहा कि हमने भी यह सुना है कि मिलें एमएसपी सेकम पर चीनी बेच रही हैं। यह गलत काम है। बाजार में फिर से सामान वापस लाने के लिए खरीदारों को कुछ नकद छूट दी जाती है। अगर सरकार ने उनके बहीखातों की जांच शुरू कर दी तो वे बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगी। आइसक्रीम और पेय पदार्थों के विनिर्माताओं सहित थोक उपभोक्ताओं की खरीद को देखते हुए वर्तमान में चीनी मिलें भारी मंदी के दौर से गुजर रही हैं। दरअसल 15 फरवरी को घोषित एमएसपी में दो रुपये प्रति किलोग्राम वृद्धि के साथ 31 रुपये करने से पहले बहुत सारा कारोबार हो चुका है जिसके परिणामस्वरूप बाजार में लबालब स्टॉक है।
 
उद्योग की संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने महाराष्ट्र में फरवरी 2019 के अंत तक 83 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है जबकि पिछले साल इस अवधि में यह 74.7 लाख टन था। इस सीजन में पेराई शुरू करने वाली 187 मिलों में से छह मिलों ने गन्ना उपलब्ध न होने की वजह से मौजूदा सीजन में अपना परिचालन बंद कर दिया है। पेराई की जल्द शुरुआत के कारण महाराष्ट्र में इस वर्ष इसी के अनुरूप सीजन जल्द समाप्त होने वाला है जिससे इस सीजन में कम चीनी उत्पादन होने का पूर्वानुमान जताया जा रहा है।
 
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने कहा कि हालांकि ऐसे मामले (एमएसपी से कम दामों पर बिक्री) सामने आ रहे हैं लेकिन इसे साबित करना बहुत मुश्किल है क्योंकि मिलें एमएसपी से कम पर बिक्री के बिल नहीं बना रही हैं। यहां तक कि अगर 30 रुपये प्रति किलोग्राम के बिल बनाए जाते हैं तो भी मिलें एक रुपये प्रति किलोग्राम के अंतर की इस राशि को भविष्य में भुगतान किए जाने वाले पोस्ट-डेटेड चेक को अतिरिक्त राशि के रूप में दिखा सकती हैं।
 
घटाया चीनी आधिक्य का पिछला अनुमान
 
अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) ने आज कहा कि 2018-19 के सीजन में वैश्विक चीनी का आधिक्य 6,41,000 टन रहने का अनुमान है जो पहले जताए गए 21,70,000 टन से कम है। संगठन ने कहा कि आधिक्य में यह कमी मुख्य रूप से ब्राजील और यूरोपीय संघ के उत्पादन के पूर्वानुमान में गिरावट के कारण है। हालांकि थाईलैंड के उत्पादन के पूर्वानुमान को संशोधित करके बढ़ाया गया है। 2018-19 में वैश्विक उत्पादन का स्तर 17.868 करोड़ टन देखा गया है जो 18.049 करोड़ टन के पिछले पूर्वानुमान से कम है। 
 
रॉयटर्स
 
  

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