चीनी कीमतों के सीमित दायरे में रहने से चिंतित मिलें अब अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने और भविष्य के लिए व्यवसाय में मजबूती से डटे रहने के लिए काफी हद तक एथनॉल पर निर्भर कर रही हैं। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने अक्टूबर 2018 में शुरू हुई मौजूदा गन्ना सीजन से 'बी' श्रेणी के शीरे से 48.5 करोड़ लीटर और गन्ने के रस से 1.84 करोड़ लीटर एथनॉल की खरीद के लिए निविदा जारी की है।
एथनॉल उत्पादन और बिक्री की अतिरिक्त मात्रा के अलावा, सरकार द्वारा कीमत वृद्घि से भी चीनी मिलों को दिसंबर 2018 की तिमाही में अपना राजस्व और मुनाफा बढ़ाने में मदद मिली है और इससे भविष्य में भी उन्हें लगातार मदद मिलने की उम्मीद है। कोलकाता की शोध एवं परामर्श फर्म स्टीवर्ट ऐंड मैकरटिक वेल्थ मैनेजमेंट में विश्लेषक अभिषेक रॉय ने बलरामपुर चीनी मिल्स (बीसीएमएल) के तीसरी तिमाही के वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण करते वक्त कहा, 'सरकार द्वारा 1 दिसंबर, 2018 से एथनॉल कीमतें बढ़ाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर किए जाने का लाभ जनवरी-मार्च 2019 से दिखना चाहिए और पूरी तरह इसका फायदा वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान दिखेगा। ऊंची कीमतों और अच्छी बिक्री की मदद से इस सेगमेंट से मुनाफा वित्त वर्ष 2020 में बढ़ेगा।'
पिछले सीजन में एथनॉल से औसत प्राप्ति लगभग 37.5 रुपये प्रति लीटर पर दर्ज की गई।
देश में द्वारिकेश शुगर्स, बीसीएमएल और धामपुर शुगर मिल्स जैसे प्रमुख चीनी मिलों ने कम उत्पादन लागत और अच्छी बिक्री की मदद से डिस्टिलरी सेगमेंट से राजस्व में सुधार दर्ज किया। चीनी मिलों की डिस्टिलेशन क्षमता में विस्तार प्रक्रिया संपूर्ण होने के विभिन्न चरणों में है जिससे उन्हें इस सेगमेंट से अपनी प्राप्ति सुधारने में मदद मिलेगी।
दरअसल, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्ष 2013-14 के लिए पेट्रोल के साथ 5 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण और उसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रण को अनिवार्य बनाया। तब से हालांकि सरकार चीनी मिलों को अपना एथनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती रही है, लेकिन आज भी छह प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य भी संभव नहीं हो पाया है। उद्योग की सर्वोच्च संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) द्वारा एकत्रित आंकड़ों से पता चलता है कि तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए 329.261 करोड़ लीटर एथनॉल की जरूरत है जबकि चीनी मिलों ने सिर्फ 313.732 करोड़ लीटर की ही पेशकश की है। ओएमसी ने 259.337 करोड़ लीटर एथनॉल उठाने के लिए निविदा जारी की जिसमें से अब तक सिर्फ 1.161 प्रतिशत या 30.11 करोड़ लीटर की ही आपूर्ति की गई है। येस सिक्योरिटीज के विश्लेषक भवेश गांधी का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गन्ना लागत सीमित करने के प्रयासों से बीसीएमएल डिस्टिलरी बिक्री और प्राप्ति में 30 प्रतिशत और 5 प्रतिशत का इजाफा दर्ज करने में सफल रही है। उन्होंने कहा, 'जहां इन्वेंट्री के स्तर में सुधार लाए जाने की जरूरत है, वहीं अगले साल कम उत्पादन के अनुमान से हमें यह विश्वास हो गया है कि चीनी कंपनियों का बुरा समय पीछे छूट सकता है।' हालांकि इक्रा रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं समूह प्रमुख सब्यसाची मजूमदार का कहना है, 'चीनी निर्यात और एथनॉल निर्माण में तेजी के संदर्भ में सफलता काफी हद तक उद्योग को निर्यात सब्सिडी और एथनॉल (बी शीरे और गन्ने के रस से तैयार एथनॉल भी शामिल) के लिए कीमत समर्थन को लेकर मौजूदा सरकार के समर्थन पर निर्भर है।'