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महाराष्ट्र में किसानों को गन्ने के बदले चीनी देंगी मिलें !
Date: 15 Jan 2019
Source: Economic Times
Reporter: ET Bureau
News ID: 35900
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महाराष्ट्र में गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 4576 करोड़ रुपये हो जाने के बाद राज्य के शुगर कमिश्नर ने गन्ने से जुड़े भुगतान का कुछ हिस्सा चीनी के रूप में करने पर सैद्धांतिक सहमति दी है। अगर इसे लागू किया गया तो किसानों के पास चीनी का काफी भंडार जमा हो सकता है, जिससे शुगर ट्रेड में ट्रेडर्स का एकाधिकार टूट सकता है।

महाराष्ट्र के शुगर कमिश्नर शेखर गायकवाड़ ने कहा, 'चीनी के दाम नरम तो हैं ही, चीनी मिलें यह शिकायत भी कर रही है कि चीनी की मांग नहीं है। कुछ चीनी मिलें लेनदेन लायक नकदी की तंगी की समस्या से जूझ रही हैं। इन चीनी मिलों ने किसानों को चीनी के रूप में भुगतान करने पर सहमति दे दी है।'

इस साल राज्य में 181 चीनी मिलों में कामकाज चल रहा है। इनमें से केवल 10 मिलों ने कानूनी हिसाब से तय उचित एवं लाभकारी मूल्य (फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस) की पूरी रकम का भुगतान किया है। अब तक चीनी मिलों ने किसानों को एफआरपी का केवल 39 प्रतिशत हिस्सा दिया है। राज्य में अब तक 497 लाख टन गन्ने की पेराई हुई है और 52 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इसमें शुगर रिकवरी रेट 10.63 प्रतिशत रहा।

दक्षिण महाराष्ट्र के गन्ना की ज्यादा खेती वाले इलाके में अधिक प्रभाव रखने वाले स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने गन्ने के दाम की पहली किस्त के रूप में एफआरपी की पूरी रकम लेने की मांग की है। इस संगठन के संस्थापक और सांसद राजू शेट्टी ने कहा, 'किसानों की प्रति एकड़ गन्ने की उपज सूखे के कारण 15 टन से घटकर 10 टन रह गई है। चीनी मिलों ने गन्ने पर बकाया नहीं चुकाया है या एफआरपी का कुछ हिस्सा ही दिया है, लिहाजा किसान अपने कृषि कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। लोन पर डिफॉल्ट करने पर वे ब्याज दर में छूट पाने लायक नहीं रह जाएंगे। इससे ब्याज भुगतान का बोझ उन पर बढ़ेगा।'

शेट्टी ने मांग की है कि चीनी मिलें अगर नकद भुगतान नहीं कर सकतीं तो वे किसानों को कुछ रकम के बराबर चीनी दें। उन्होंने कहा, '80 प्रतिशत किसान 50-60 टन गन्ना उत्पादन करते हैं। चीनी मिलों को दिए गए हर एक टन गन्ने पर किसानों को 8-9 किलोग्राम चीनी मिलेगी।'

शेट्टी ने कहा कि किसानों को चीनी में भुगतान करते वक्त मिलों को 5 प्रतिशत जीएसटी चार्ज खुद चुकाना चाहिए।

चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये किलो तय किया गया है। शुगर इंडस्ट्री की मांग है कि इसे बढ़ाकर 31 रुपये किया जाए।

 
  

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