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News
बैंकों के पास गिरवी चीनी छुड़वाने की दरकार
Date:
14 Jan 2019
Source:
Business Standard
Reporter:
Dilip Kumar Jha
News ID:
35891
Pdf:
Nlink:
महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पास गिरवी रखी चीनी छुड़वाने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की है। इस कदम का उद्देश्य राज्य से निर्यात को बढ़ावा देना है जो सब्सिडी भुगतान में अंतर के कारण अटक गया था। बैंक मौजूदा आमदनी और फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) के 11 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच के अंतर की कीमत चाहते हैं जो सब्सिडी राशि के बराबर है। इन बैंकों में पीएसबी, राज्य सहकारी केंद्रीय बैंक और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भी शामिल हैं। दूसरी ओर मिलें चाहती हैं कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऋणदाता गिरवी रखी चीनी जारी कर दें। वे यह भी चाहती हैं कि सीजन के अंत में सरकार से सब्सिडी की राशि मिल जाए।
मिलों और बैंकों के बीच यह झगड़ा कुछ समय पहले तक जारी रहा। तब राज्य सहकारी केंद्रीय बैंक बैंकों से सब्सिडी की राशि लेने के लिए अतिरिक्त ऋण स्वीकृत करने पर सहमत हो गए थे। हालांकि जिला केंद्रीय बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने जमानत के रूप में रखी गई चीनी जारी करने के लिए मिलों से सब्सिडी राशि मांगना जारी रखा। महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ के प्रबंध निदेशक संजय खटल ने कहा कि हमने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर भारतीय रिजर्व बैंक को दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया है जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को राज्य सहकारी बैंकों के समान प्रारूप अपनाने का निर्देश दिया जा सके। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए गिरवी रखी चीनी जारी करने की मांग करते हुए हमने जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से भी संपर्क किया है।
जानकार सूत्रों ने कहा कि राज्य सहकारी बैंक चीनी कारखानों को एक साल की पुनर्भुगतान अवधिके लिए 14 प्रतिशत ब्याज पर अतिरिक्त ऋण जारी करने पर सहमत हो गए हैं। इससे मिलों को निर्यात बढ़ाने के लिए 11 रुपये प्रति किलोग्राम का अंतर पाटने में मदद मिलेगी। अगर जिला सहकारी बैंक राज्य सहकारी बैंकों के दिशा-निर्देशों को अपना लें तो 102 मिलों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा तथा 9,00,000 टन और चीनी का निर्यात हो सकेगा। खटल ने कहा कि इससे नि:संदेह चीनी मिलों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। लेकिन उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। बैंकों से ऋण उपलब्धता कम होने के कारण महाराष्ट्र से होने वाले चीनी निर्यात पर भारी दबाव था।
जानकार सूत्रों ने कहा कि राज्य में चीनी कारखानों ने न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा के तहत कुल आवंटित मात्रा 15 लाख टन में से अब तक इस सीजन में केवल 1,84,000 टन चीनी का ही निर्यात किया है। अब तक बैंकों के पास गिरवी रखी चीनी को निष्क्रिय स्टॉक माना जाता था। गिरवी चीनी जारी करवाने के लिए महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ के तत्वावधान में सहकारी मिलें राज्य तथा केंद्र सरकारों, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), भारतीय रिजर्व बैंक आदि के साथ कई बैठकें कर चुकी हैं। अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ के चेयरमैन प्रफुल्ल विठलानी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा और चीनी जारी करने से निश्चित रूप से महाराष्ट्र से निर्यात को बढ़ावे में मदद मिलेगी। भारतीय मिलों को ब्राजील में सूखे के कारण चीनी की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि होने की उम्मीद है। ब्राजील चीनी के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। इसलिए भारत के पास इस साल 50 लाख टन चीनी निर्यात कोटे का लक्ष्य हासिल करने का अच्छा मौका रहेगा।
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