संकटग्रस्त चीनी क्षेत्र को बड़ी राहत प्रदान करते हुए केंद्र चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर इसे 29 रुपये प्रति किलोग्राम के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 32 रुपये प्रति किलोग्राम कर सकता है। पिछले साल चीनी की खुदरा कीमतों में गिरावट और इस क्षेत्र में वैश्विक आधिक्य के कारण निर्यात बाजार कम होने के बीच घरेलू चीनी मिलों की मदद के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने चीनी का बिक्री मूल्य (एक्स फैक्ट्री) 29 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। हालांकि गन्ने का बकाया बढऩे और पेराई सत्र 2018-19 की शुरुआत के बाद उद्योग मार्जिन में सुधार और बकाया राशि केजल्द निपटान के लिए चीनी का बिक्री मूल्य बढ़ाकर लगभग 35 रुपये करने की मांग कर रहा था। उच्च पदस्थ एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि केंद्र सरकार मौजूदा एमएसपी की समीक्षा करेगी और शीघ्र ही चीनी के बिक्री मूल्य में 2-3 रुपये बढ़ोतरी की घोषणा करेगी। हालांकि इसमें यह शर्त रहेगी कि एमएसपी बढ़ोतरी की घोषणा किए जाने के बाद चीनी कंपनियों की ओर से केंद्र से और सब्सिडी की मांग नहीं की जाएगी।
जून 2018 में केंद्र ने चीनी क्षेत्र में तरलता में राहत देने के लिए 7,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी जबकि सफेद (परिष्कृत) चीनी का एमएसपी 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था। इसके अलावा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भी 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक तैयार करने की घोषणा की थी। देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार भी किसानों का भुगतान करने के लिए निजी चीनी मिल की मदद के लिए 4,000 करोड़ रुपये के आसान ऋण कार्यक्रम की घोषणा कर चुकी है। राज्य ने भुगतान की स्थिति आसान बनाने के लिए अन्य लाभों की भी घोषणा की थी।
इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्य का चीनी बिक्री कोटा बढ़ाकर 11 लाख टन प्रति माह करने और चीनी का बिक्री मूल्य (एक्स फैक्टरी) बढ़ाने की मांग की थी। राज्य सरकार ने केंद्र को अवगत कराया था कि उत्तर प्रदेश में मिलों के पास पिछले साल से संबंधित 96,000 टन का बिना बिका हुआ स्टॉक पड़ा हुआ है और चालू सीजन में मिलों को 1.25 करोड़ टन चीनी उत्पादन की उम्मीद हैं। इससे स्टॉक में और ज्यादा इजाफा होगा। पिछले पेराई सीजन 2017-18 के बकाये समेत दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बकाया राशि 65 अरब रुपये होने का अनुमान है। वार्षिक उत्पादन में इन दोनों का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक रहता है। कुछ समय पहले अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के चेयरमैन प्रफुल्ल विठलानी ने कहा था कि जहां एक ओरअक्टूबर से चीनी के ताजा उत्पादन के कारण बकाया इक_ïा होना एक सामयिक घटना है, वहीं दूसरी ओर निर्यात बाजार पहले जताई गई उम्मीद की अपेक्षा कम रहा है। हालांकि चीनी के वैश्विक बाजार की अवधारणा में नरमी का दौर जारी है लेकिन चीन से उम्मीद की जा रही है कि वह अगले कुछ हफ्तों में अपने मौजूदा सीजन के कोटे की घोषणा कर देगा जिससे हालात आसान होंगे। चीन के पास 40-50 लाख टन कच्ची चीनी का बड़ा आयात बाजार है। बांग्लादेश, श्रीलंका और अफ्रीकी देशों को भी भारतीय चीनी का निर्यात किया जाता है।