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अच्छी शुरआत के बावजूद उत्पादन में कमी के आसार
Date: 05 Jan 2019
Source: Business Standard
Reporter: Rajesh Bhayani
News ID: 35856
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अक्टूबर में शुरू हुए 2018-19 के सीजन के दौरान देश में चीनी उत्पादन 6.8 प्रतिशत तक बढ़कर 1.105 करोड़ टन पहुंच गया है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि इस अधिक उत्पादन का श्रेय महाराष्ट्र और कर्नाटक चीनी मिलों द्वारा इस साल पेराई जल्द शुरू करने को जाता है। हालांकि कम बारिश और सफेद कीड़े के संक्रमण के मद्देनजर महाराष्ट्र पिछले साल की तुलना में इस बार काफी कम मात्रा में उत्पादन करेगा। कुल मिलाकर देश को इस सीजन में पिछली बार की अपेक्षा बहुत कम चीनी उत्पादन के आसार हैं।
 
हालांकि इस्मा ने यह नहीं बताया है कि उत्पादन में कितनी कमी आएगी लेकिन पिछले साल के 3.25 करोड़ टन के उत्पादन की तुलना में 18-19 के लिए इसका अनुमान 3.15 करोड़ टन था। इस्मा ने यह भी कहा है कि वे लोग इस महीने के अंत में सर्वेक्षण करेंगे तथा सीजन 2018-19 केलिए चीनी उत्पादन के अनुमान की समीक्षा करेंगे और यदि जरूरी हुआ तो अपने अनुमान को संशोधित करेंगे। उद्योग के महाराष्ट्र स्थित एक सूत्र का कहना है कि राज्य खराब हालात से गुजर रहा है तथा इसे और ज्यादा प्रोत्साहन की जरूरत है। महाराष्ट्र के उत्पादन में गिरावट से देश का कुल उत्पादन 3.105 से 3.11 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है। सूत्र ने यह भी कहा कि इस्मा ने 21 जनवरी को मिलों की बैठक बुलाई है।
दिसंबर के अंत तक महाराष्ट्र में 184 मिलों ने 43.4 लाख टन चीनी उत्पादन किया जबकि पिछले साल 38.4 लाख टन उत्पादन किया गया था। लेकिन इस्मा का कहना है कि महाराष्ट्र में गन्ने की कम उपलब्धता और पेराई की जल्द शुरुआत के कारण वहां मिलें पिछले साल की तुलना में काफी पहले बंद हो जाएंगी।
 
इक्रा के समूह प्रमुख और वरिष्ठ उपाध्यक्ष सब्यसाची मजूमदार कहते हैं कि चीनी वर्ष 18-19 में चीनी का उत्पादन 3.15 करोड़ टन होने की संभावना है। यह उत्पादन आगे चलकर बी-भारी शीरे और गन्ने के रस से एथनॉल बनाने की वजह से प्रभावित हो सकती है। इन सकारात्मक बातों और घरेलू चीनी की खपत 2-3 प्रतिशत तक बढ़कर इस वर्ष करीब 2.58 करोड़ टन होने के अनुमान के बावजूद उत्पादन अब भी अनुमानित खपत की तुलना में कम से कम 55 लाख टन अधिक रहेगा।  अगर यह भी मान लें कि चीनी वर्ष 2019 में 40-50 लाख टन चीनी निर्यात होगा तो भी पिछले सीजन के 1.05 बचे हुए स्टॉक को देखते हुए स्टॉक करीब 1.13-1.23 करोड़ टन अधिक रहेगा। वे मानते हैं कि गन्ने की अधिक उत्पादन लागत के साथ-साथ आपूर्ति से प्रेरित कीमतों के दबाव से मार्जिन पर दबाव पडऩे और इस साल गन्ना बकाया बढऩे की आशंका है। हालांकि मार्जिन का परिदृश्य उनके पहले के अनुमान की तुलना में कुछ अच्छा है।
 
  

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