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चीनी निर्यात का लक्ष्य चूकेगा !
Date: 20 Dec 2018
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 35825
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अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में किए गए अनुबंधों से लगता है कि भारत 2018-19 के सीजन में चीनी के न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटे (एमआईईक्यू) का लक्ष्य चूकने वाला है। अक्टूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के लिए निर्धारित औसत एमआईईक्यू कोटे के 12.5 लाख टन में से चीनी कारखानों ने केवल 6,00,000 टन के लिए ही अनुबंध किया है और इस तिमाही में अब तक केवल 2,46,000 टन ही निर्यात हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि चीनी मिलों ने 2017-18 के लिए निर्धारित 20 लाख टन के कोटे में से केवल 4,00,000 टन ही निर्यात किया था। इस तरह निश्चित मात्रा में से केवल 20 प्रतिशत का लक्ष्य ही पूरा हो पाया और 80 प्रतिशत मात्रा की चूक रही।
 
चीनी कारखानों को निर्यात ऑर्डर पूरे करने के लिए कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। रुपये के अवमूल्य से निर्यात कम लाभकारी होने के अलावा ब्राजील की लीरा के अवमूल्यन के साथ-साथ वैश्विक दामों में लगातार गिरावट ने भारत से चीनी निर्यात को कम लाभकारी बना दिया है। सरकार द्वारा सीजन के आखिर में सब्सिडी राशि जारी करने की वजह से चीनी मिलों को पूरे साल कार्यशील पूंजी अटकने का डर सता रहा है। इस पर वे ऋणदाताओं को ब्याज देती हैं।
 
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत ने इस सीजन में अब तक केवल 2,46,000 टन ही निर्यात किया है। अगर मौजूदा रुख जारी रहता है तो एमआईईक्यू निर्यात का 50 लाख टन का लक्ष्य हासिल करना असंभव लगता है। पेराई सीजन की शुरुआत में उद्योग के शीर्ष संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एशियाई क्षेत्र की 30-35 लाख टन कमी की भरपाई के लिए 40-45 लाख टन का अनुमान जताया था जो अब भी मौजूदा साल के लिए निर्धारित 50 लाख टन के लक्ष्य से कम है।
 
अगर भारत एमआईईक्यू निर्यात लक्ष्य हासिल करने में विफल रहता है तो घरेलू आपूर्ति की अधिकता के कारण उद्योग के भागीदारों और नीति निर्माताओं के लिए यह अच्छा नहीं होगा। पिछले साल के बचे हुए एक करोड़ टन स्टॉक के अलावा 3.15 करोड़ टन का कुल उत्पादन भारत की 2.55 करोड़ टन वार्षिक चीनी खपत से लगभग 60 लाख टन अधिक रहने का अनुमान है। इस प्रकार 2018-19 के चीनी सीजन (यानी सितंबर 2019) के अंत तक चीनी आधिक्य की कुल मात्रा लगभग 1.6 करोड़ टन रहेगी।
 
ऑल इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने कहा कि पिछले दो महीनों के दौरान बेंचमार्क नाइबॉट और लाइफ एक्सचेंजों में चीनी की कीमतें 11 फीसदी से ज्यादा तक गिर चुकी हैं। इसके अलावा पिछले दो महीनों के दौरान रुपये में मजबूती और ब्राजील की लीरा के अवमूल्यन के कारण ब्राजील से चीनी निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हुआ है। इन बाधाओं के बावजूद चीनी मिलों से दिसंबर के आखिर तक खेप भेजने की शुरुआत करने की उम्मीद है। नाइबॉट एक्सचेंज में चीनी के दाम 11.44 प्रतिशत तक गिरकर फिलहाल 12.30 डॉलर प्रति पौंड चल रहे हैं। बेंचमार्क लाइफ में आगामी महीने का चीनी अनुबंध 10.37 प्रतिशत गिरावट के साथ 339.70 डॉलर प्रति टन बोला गया था। दो महीने पहले यह 379 डॉलर प्रति टन था।
 
  

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