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गिरते दामों से थमा चीनी निर्यात
Date: 13 Nov 2018
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 35711
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जोरदार शुरुआत के बाद भारत से किए जाने वाले चीनी निर्यात में ठहराव आ गया है। पिछले दो सप्ताह के दौरान चीनी के दामों में तीव्र गिरावट के कारण निर्यातकों ने निर्यात रोक दिया है। बेंचमार्क शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई) में आगामी महीने की डिलीवरी के लिए कच्ची चीनी के दाम आज चार प्रतिशत तक गिरकर प्रति पाउंड 12.80 सेंट हो गए। भारत की मुद्रा के हिसाब से इसमें प्रति टन 1,000 रुपये की गिरावट आई है। इस गिरावट से भारतीय निर्यातकों की आमदनी में बड़ा अंतर आता है। निर्यात संभव न होने की सूचना के बाद भारत में आज थोक हाजिर बाजार वाशी में रिफाइंड चीनी (एम 30) के दाम 2.5 फीसदी तक घटकर 33,100 रुपये प्रति टन हो गए।
 
सरकार बंदरगाहों से 100 किलोमीटर के अंदर स्थित मिलों को प्रति टन 1,000 रुपये, तटीय राज्यों में बंदरगाह से 100 किमी से अधिक दूरी पर स्थित मिलों को प्रति टन 2,500 रुपये और अन्य स्थानों में स्थित मिलों को प्रति टन 3,000 रुपये की परिवहन सब्सिडी दे रही है। चीनी के दामों में गिरावट ने भारतीय चीनी निर्यात के लाभ मार्जिन को खत्म कर दिया है। इस वजह से निर्यातक विदेशी आयातकों के साथ निर्यात संबंधी बातचीत शुरू करने के लिए चीनी कीवैश्विक कीमतों में मजबूती आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस सीजन में अब तक भारतीय निर्यातक चालू सीजन के लिए आवंटित 50,00,000 टन के न्यूनतम निर्देशात्मक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) में से 8,00,000 टन चीनी निर्यात के लिए अनुबंध कर चुके हैं।
 
भारत के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक निर्यातक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक 8,50,000 टन चीनी निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के उपरांत कीमत में गिरावट के कारण उसके बाद से कोई नया अनुबंध नहीं किया गया है। निर्यातक विदेशी आयातकों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए चीनी के वैश्विक दामों में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चीनी के प्रति पाउंड 13.25 सेंट से नीचे के दाम सब्सिडी के बावजूद व्यावहारिक नहीं हैं। इस बीच सरकार ने उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ उन सभी संभावित गंतव्यों पर अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा है जहां ब्राजील चीनी की आपूर्ति करता था। पिछले महीने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश का दौरा किया था जो हर साल 25-30 लाख टन चीनी का उपभोग करता है। भारत ताइवान, इंडोनेशिया और चीन में भी चीनी निर्यात के विकल्पों का आकलन कर रहा है।
 
नैशनल फेडरेशन ऑफ कॉ-ओपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि 50 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा पूरे साल यानी अक्टूबर 2018-सितंबर 2019 के लिए है। इस अवधि के पहले ही महीने में 8,50,000 टन का निर्यात अनुबंध किया जाना अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सरकार और उद्योग जितना संभव हो सके उतनी चीनी निर्यात के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सरकार ने संभावित बाजारों में आयातकों से मुलाकात के लिए दलों को भेजा हैं।  भारत अब तक मुख्य रूप से खाड़ी देशों और श्रीलंका के साथ 6,50,000 टन कच्ची चीनी और 2,00,000 टन सफेद चीनी निर्यात का अनुबंध कर चुका है। भारतीय निर्यातक विश्व बाजार से अतिरिक्त चीनी हटने का इंतजार कर रहे हैं जो करीब एक महीने पहले 'आधिक्य' से 'संतुलन' की स्थिति में आ चुका है।
 
  

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