इस उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने वाले उत्तर प्रदेश के गन्ना समुदाय के प्रतिनिधि अरविंद कुमार सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की आमदनी दोगुनी करने के अपने कार्यक्रम पर तो जोर दे रही हैं लेकिन इसके बावजूद हाल के वर्षों में गन्ने के दामों में मामूली-सा ही इजाफा हुआ है। हालांकि केंद्र ने गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है लेकिन परंपरागत रूप से उत्तर प्रदेश अपने किसानों को और लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए मिलों द्वारा किए जाने वाले भुगतान की ज्यादा ऊंची घोषणा करता है। मिलों ने नकदी प्रवाह की चुनौतियों के अपने दावों के समर्थन में बाजार में आधिक्य और चीनी से कम आमदनी के कारण घरेलू चीनी संकट का हवाला दिया है जिसके परिणास्वरूप पिछले सीजन का पहले से ही ऊंचा गन्ना बकाया बना हुआ है। वर्तमान में 2017-18 से संबंधित राज्य का गन्ना बकाया करीब 78 अरब रुपये बैठता है। हालांकि 75 निजी मिलों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बकाया स्थिति को आसान करने के लिए आदित्यनाथ सरकार द्वारा समर्थित किए जा रहे 40 अरब रुपये के आसान ऋण का सामूहिक रूप से लाभ उठाने के लिए आवेदन किया है।