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गन्ना किसान चाहते हैं प्रति क्विंटल 400 रुपये दाम
Date: 07 Nov 2018
Source: Business Standard
Reporter: Virendra Singh Rawat
News ID: 35694
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देश के प्रमुख चीनी उत्पादक उत्तर प्रदेश में पेराई कार्य के धीरे-धीरे रफ्तार पकडऩे के साथ ही राज्य के किसानों ने 2018-19 सीजन में गन्ने के दाम 25 प्रतिशत बढ़ाकर प्रति क्विंटल करीब 400 रुपये करने की मांग की है। यह मांग ऐसे समय में की जा रही कि जब निजी मिलों ने पिछले साल 2017-18 सीजन में निर्धारित किए गए गन्ने (सामान्य किस्म) के मौजूदा दाम प्रति क्विंटल 315 रुपये पर ही भुगतान करने में अपनी 'असमर्थता' की बात दोहराई है। कल यहां मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे की अध्यक्षता में गन्ने के दाम निर्धारित करने को लेकर बैठक हुई थी जिसमें किसानों के प्रतिनिधियों ने दृढ़ता के साथ यह मांग की थी कि डीजल, उर्वरक और अन्य कृषि उत्पादन लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) संशोधित कर 400 रुपये करने की तत्काल आवश्यकता है। 
 

इस उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने वाले उत्तर प्रदेश के गन्ना समुदाय के प्रतिनिधि अरविंद कुमार सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की आमदनी दोगुनी करने के अपने कार्यक्रम पर तो जोर दे रही हैं लेकिन इसके बावजूद हाल के वर्षों में गन्ने के दामों में मामूली-सा ही इजाफा हुआ है। हालांकि केंद्र ने गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है लेकिन परंपरागत रूप से उत्तर प्रदेश अपने किसानों को और लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए मिलों द्वारा किए जाने वाले भुगतान की ज्यादा ऊंची घोषणा करता है। मिलों ने नकदी प्रवाह की चुनौतियों के अपने दावों के समर्थन में बाजार में आधिक्य और चीनी से कम आमदनी के कारण घरेलू चीनी संकट का हवाला दिया है जिसके परिणास्वरूप पिछले सीजन का पहले से ही ऊंचा गन्ना बकाया बना हुआ है। वर्तमान में 2017-18 से संबंधित राज्य का गन्ना बकाया करीब 78 अरब रुपये बैठता है। हालांकि 75 निजी मिलों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बकाया स्थिति को आसान करने के लिए आदित्यनाथ सरकार द्वारा समर्थित किए जा रहे 40 अरब रुपये के आसान ऋण का सामूहिक रूप से लाभ उठाने के लिए आवेदन किया है।              

 
  

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