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चीनी उत्पादन में आएगी गिरावट
Date: 30 Oct 2018
Source: Business Standard
Reporter: सुशील मिश्र
News ID: 35674
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देश के कई हिस्सों मेंं सूखे की बढ़ती आशंका का असर चीनी उत्पादन पर पड़ता नजर आ रहा है। देश के चीनी उत्पादन में करीब 40 लाख टन कमी आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। दूसरी तरफ विदेशों से भारतीय चीनी की मांग भी बढ़ रही है। चीनी निर्यात के जो ऑर्डर लिए गए हैं, दीवाली के बाद उनका निर्यात शुरू हो जाएगा। मुंबई में जमा हुए चीनी उद्योग के कारोबारियों को उम्मीद है कि दीवाली के पहले पांच लाख टन चीनी निर्यात का ऑर्डर मिल जाएगा। हालांकि उत्पादन में कमी और निर्यात बढऩे का असर कीमतों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि देश में पहले से ही चीनी का बफर स्टॉक जमा है।
 
भारतीय चीनी उद्योग को कठिनाई से उबारने के लिए निर्यात में तेजी लाना जरुरी है। चीनी निर्यात को लेकर आयोजित संगोष्ठी में निर्यात रणनीति पर मंथन करने के बाद उद्योग जगत को भरोसा है कि वह सरकार द्वारा तय किया गया निर्यात कोटा पूरा करने में कामयाब होगा। ब्राजील में उत्पादन कम होने का फायदा भी भारतीय निर्यातकों को मिलेगा। साथ ही वैश्विक बाजार में दाम भी दुरुस्त रहने वाले हैं। चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि विदेशों में भारतीय चीनी की मांग बढऩी शुरू हो गई है। निर्यात मांग रफ्तार पकड़ रही है। साथ ही उत्पादन भी कम होने जा रहा है। इससे आने वाला समय चीनी उद्योग के लिए बेहतर साबित होगा। कार्यक्रम में निर्यात कोटा, निर्यात मांग, चीनी मिलों की समस्याएं और उनसे निपटने पर चर्चा हुई। 
 
कार्यक्रम में अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने दावा किया कि चीनी मिलों, निर्यातकों और सरकार की सक्रियता के कारण चीनी निर्यात का लक्ष्य पूरा होगा। सरकार ने न्यूनतम निर्देशात्मक निर्यात कोटा 20 लाख टन घोषित किया है जो दिसंबर तक पूरा करना है। चीनी निर्यातकों के अनुसार अब तक बामुश्किल 5-6 लाख टन का ही ऑर्डर मिला है। आयोजकों को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से पांच लाख टन चीनी निर्यात का ऑर्डर मिल सकेगा और 50 लाख टन का निर्यात लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, प्रमुख सरकारी अधिकारियों समेत करीब 400 से ज्यादा चीनी उत्पादक और मध्यस्थ शामिल हुए।
 
चीनी मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने 2018-19 सीजन के दौरान देश में चीनी उत्पादन कम होने का अनुमान व्यक्त किया। इस्मा के अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान चीनी उपलब्धता 427 लाख टन तक रहने का अनुमान है जबकि चीनी की सालाना घरेलू मांग 255 लाख टन से 260 लाख टन रहने का अनुमान है। ऐसे में  चीनी मिलें वर्ष के दौरान 40-50 लाख टन चीनी का निर्यात भी कर देती हैं तब भी 110-130 लाख टन तक का स्टॉक रहेगा। घरेलू बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी होना मुश्किल है।
 
इस्मा का कहना है कि 2018-19 सीजन के दौरान देश में 315 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। इससे पहले जुलाई में एसोसिएशन ने 350-355 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया था। पिछले सीजन मेंं 2017-18 के दौरान देश में 322.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इस्मा ने करीब तीन महीने पहले चीनी उत्पादन का जो अनुमान पेश किया था उसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के उत्पादन में भी परिवर्तन दिख रहा है। जुलाई में जारी अनुमान में उत्तर प्रदेश में 130-135 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। ताजा अनुमान में इसे घटाकर 121 लाख टन कर दिया गया है। यानी इस साल उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले सीजन के 120.45 लाख टन के करीब ही रहने वाला है। महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन चालू विपणन वर्ष के दौरान 95 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है। पिछले साल राज्य का चीनी उत्पादन करीब 107.20 लाख टन रहा था। जबकि पहले राज्य में 110-115 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। कर्नाटक में चीनी पैदावार घटाकर 42 लाख टन कर दी गई जबकि पहले यहां 44.8 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया था।
 
  

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