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महाराष्ट्र में आज से गन्ने की पेराई
Date: 20 Oct 2018
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 35656
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गन्ना किसानों को अग्रिम भुगतान पर अनिश्चितता के बीच महाराष्ट्र की करीब दर्जन भर चीनी मिलें शनिवार से गन्ने की पेराई शुरू करने जा रही हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की मिलें अभी गन्ने के पूरी तरह से तैयार होने का इंतजार कर रही हैं और दीवाली के आसपास वहां पेराई शुरू होने की उम्मीद है।

 

महाराष्ट में गन्ने की पेराई शुरू होने में पहले ही तीन हफ्ते की देर हो चुकी है जबकि उत्तर प्रदेश में छह हफ्ते की देरी हो चुकी है। हालांकि चालू सत्र में गन्ने की पैदावार सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने का अनुमान है। पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2018-19 में भारत में गन्ने का उत्पादन 38.4 करोड़ टन रहने का अनुमान है जबकि इससे पिछले साल 37.7 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था।

 

गन्ने की बंपर पैदावार के बावजूद न तो महाराष्ट और न ही उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को चालू सत्र के लिए पहले से गन्ने की पेराई शुरू करने की खातिर प्रोत्साहित किया। दोनों सरकारों ने उद्योग के साथ सलाह-मशविरा कर पेराई जल्द शुरू करने की घोषणा की थी ताकि अप्रैल-मार्च 2019 तक पेराई पूरी हो सके।

 

महाराष्ट राज्य सहकारी चीनी फैक्टरी फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खाटल ने कहा, 'कार्यशील पूंजी के दबाव के बावजूद करीब दर्जन भर चीनी मिलें शनिवार से पेराई शुरू कर रही हैं। उन्होंने कार्यशील पूंजी कर्ज के लिएण् गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संपर्क किया है।' 

 

उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के गन्ना बकाया चुकाए जाने के बावजूद बैंकों ने महाराष्ट की चीनी मिलों को कार्यशील पूंजी देने से मना कर दिया है। सरकार अभी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रही है लेकिन महाराष्ट की अधिकांश मिलों ने गन्ना किसानों का बकाया चुका दिया है और अब कुल बकाया 10 अरब रुपये से घटकर 2 अरब रुपये रह गया है।

 

हालांकि उत्तर प्रदेश में मिलों पर करीब 80 अरब रुपये का बकाया है और चालू सत्र में दीवाली के दौरान पेराई शुरू होने से पहले बकाया चुकाया जा सकता है। महाराष्ट की मिलों ने पेराई शुरू करने का निर्णय तो कर लिया है लेकिन गन्ने की खरीद के लिए किसानों को अग्रिम भुगतान का मामला चिंता का सबब बना हुआ है। महाराष्ट के चीनी मिलों को गन्ना किसानों से केंद्र सरकार द्वारा तय उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर खरीद करनी होगी।

 

खाटल ने कहा, 'मिलें गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने के लिए पैसे जुटाने की खातिर वैकल्पिक उपाय तलाश रहे हैं।'               

 
  

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