ज्यादा चीनी खाने से शरीर में कैलरी की मात्रा बढ़ती है और शारीरिक मेहनत न होने पर आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं, जो डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी कई समस्याओं को जन्म देता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कुल कैलरी का 10 फीसदी तक हिस्सा ही चीनी का होना चाहिए, चाहे किसी भी माध्यम से लिया जाए। हालांकि लक्ष्य 5 फीसदी होना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने स्टीविया के इस्तेमाल की भी सीमा तय कर रखी है। उसने शारीरिक वजन के हर किलोग्राम के मुकाबले 4 मिलीग्राम तक ही इस्तेमाल के लिए कहा है। कुछ रिसर्च में दावा किया गया है कि स्टीविया से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, इसे भारत में भी उगाना मुमकिन है। प्राचीन भारत के कई अध्ययनों में मधुपत्र का जिक्र किया गया है, जिसके गुण स्टीविया से मिलते- जुलते हैं। शुगर कंट्रोल में मदद• रमेश तिवारी सरकार ने पेप्सी बनाने वाली कंपनी पेप्सिको से अपने प्रॉडक्ट्स में चीनी की मात्रा कम करने के लिए कहा है। चीनी में कैलरी ज्यादा होने से उठी स्वास्थ्य चिंताओं को देखते हुए यह बात कही गई है। कंपनी के सूत्रों का कहना है कि चीनी के विकल्प के तौर पर स्टीविया का इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है। स्टीविया पराग्वे और ब्राजील में मिलने वाला औषधीय महत्व का एक पौधा है, जिससे हासिल स्वीटनर का इस्तेमाल करीब 75 देशों में हो रहा है। सवाल है कि क्या स्टीविया सेफ है/ अपने देश में अभी इजाजत नहीं स्टीविया के पौधे से हासिल स्वीटनर आम चीनी के मुकाबले 300 गुना मीठा होता है, पर कैलरी फ्री होने का दावा किया जाता है। बहरहाल, भारत में अभी इसका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी गई है। देश में अभी चीनी के विकल्प के तौर पर केमिकल से प्राप्त स्वीटनरों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके सेफ होने पर विरोधाभासी रपटें आती रहती हैं। अमेरिका में वहां के रेगुलेटर ने स्टीविया के मूल रूप को फूड सिस्टम में शामिल करने की इजाजत नहीं दी है, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि इनके इस्तेमाल से ब्लड शुगर कंट्रोल की चिंता कायम रहती है। यह भी कहा गया है कि इसका असर प्रजनन क्षमता, हार्ट वगैरह पर भी पड़ता है। फिलहाल स्टीविया के ही प्लांट से प्राप्त दो प्यूरिफाइड स्वीटनर किस्मों को मंजूरी दी गई है, जिसे कोका कोला ने इस्तेमाल किया है। कोका कोला और पेप्सी ने विदेश में स्टीविया और चीनी, दोनों से मीठा किया गया प्रॉडक्ट पेश किया है। माना जा रहा है कि स्वाद में फर्क के मद्देनजर अभी चीनी को पूरी तरह से हटाया नहीं गया है। कुछ प्रॉडक्ट्स में स्टीविया के इस्तेमाल से स्वाद में बदलाव को ग्राहक विरोध कर चुके हैं।