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News
एथनॉल क्षमता बढ़ा रहा चीनी उद्योग
Date:
04 Oct 2018
Source:
Business Standard
Reporter:
Sanjeeb Mukherjee & Ajay Modi
News ID:
34616
Pdf:
Nlink:
घरेलू चीनी उद्योग ने एथनॉल विनिर्माण क्षमता में विस्तार के लिए निवेश के आह्वïान पर अच्छी प्रतिक्रिया दिखाई है। इस घोषणा के तीन महीने के भीतर ही 62 अरब रुपये केसब्सिडी वाले ऋण के 100 से अधिक आवेदनों को मंजूरी दी गई है। नई क्षमता निर्मित करने के लिए जिन प्रमुख कंपनियों ने आवेदन किया है उनमें त्रिवेणी इंजीनियरिंग, धामपुर और डीसीएम श्रीराम भी शामिल हैं। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मौजूदा बॉयलर और डिस्टिलरीज के विस्तार के साथ-साथ नए बॉयलर और डिस्टिलरीज स्थापित करने के लिए अब तक लगभग 114 आवेदनों को मंजूरी दी जा चुकी है। विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रेणुका शुगर्स, ईआईडी पैरी और द्वारिकेश शुगर समेत कई प्रमुख चीनी कंपनियों ने 1.25 अरब लीटर एथनॉल तैयार करने के लिए अतिरिक्त क्षमता स्थापित करने केलिए मंजूरी मांगी है। ज्यादातर मामलों में इन अग्रणी कंपनियों ने एक से अधिक जगहों पर क्षमता निर्माण या विस्तार करना चाहा है। फिलहाल भारत में 2.75 अरब लीटर एथनॉल की क्षमता है जबकि अनिवार्य 10 प्रतिशत मिश्रण के लिए इसे 3.25 अरब लीटर एथनॉल क्षमता की आवश्यकता है।
त्रिवेणी इंजीनियरिंग के वाइस चेयरमैनऔर प्रबंध निदेशक तरुण साहनी ने कहा कि उद्योग द्वारा जमा कराए गए आवेदन इस बात कासबूत है कि अगर सरकार कोई आकर्षक नीति लेकर आती है तो इसमें निवेश किया जाएगा। घरेलू एथनॉल उद्योग में निवेश के लिए हालात कभी अच्छी नहीं रहे हैं। अगर कई सालों के दौरान एथनॉल की कीमतों पर कुछ स्पष्टता होती तो प्रतिक्रिया और अच्छी रहती। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी इंजीनियरिंग अपनी मौजूदा एथनॉल क्षमता में विस्तार करने के साथ-साथ नई क्षमता की स्थापना में निवेश कर रही है। इससे न केवल सी-भारी वर्ग बल्कि बी-भारी वर्ग के शीरे को भी एथनॉल में तब्दील करने की सुविधा मिलेगी।
अधिकारियों ने कहा कि अगले 2-3 सालों में एक बार नई क्षमता का इस्तेमाल होने लगे तो फिर भारत के पास पेट्रोल के साथ 10 प्रतिशत मिश्रण के लिए पर्याप्त एथनॉल होगा। उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार जून में घोषित सब्सिडी वाले ऋण कार्यक्रम के तहत कुल स्वीकृत ऋण की राशि अब तक करीब 62 अरब रुपये है जबकि अभी और मंजूरी की उम्मीद है। जून में केंद्र सरकार ने पहली बार बी-भारी और सी-भारी शीरे से निर्मित किए जाने वाले एथनॉल के अलग दाम निर्धारित किए थे। सी-भारी शीरे से तैयार एथेनॉल की तुलना में गन्ने के रस केसाथ-साथ बी-भारी शीरे से उत्पन्न एथनॉल के दाम अधिक तय हुए। इसके अलावा नुकसान झेल रहे चीनी उद्योग को बचाने और गन्ना बकाया राशि चुकाने में उसकी मदद के लिए सरकार ने 70 अरब रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी जिसमें से 44.40 अरब रुपया चीनी मिलों से जुड़ी मौजूदा डिस्टिलरीज के विकास केलिए सुलभ-ऋण के रूप में था।
इस बीच चीनी मिलों को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र ने मासिक घरेलू बिक्री कोटे को भी बढ़ा दिया है। यह उन चीनी मिलों के लिए है जो बी-भारी शीरे या गन्ने के रस से एथनॉल उत्पन्न करती हैं। एथनॉल उत्पादित करने वाले इन दोनों विधियों को मध्यवर्ती प्रक्रिया भी कहा जाता है जिसमें चीनी की कुछ मात्रा बच जाती है।
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