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गन्ना किसानों के लिए सरकार ने खोला खजाना
Date: 26 Sep 2018
Source: Dainik Jagran
Reporter: राज्य ब्यूरो
News ID: 34581
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लखनऊ (जेएनएन) गन्ना किसानों के मुद्दे पर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है। पहले भी बड़े फैसले कर चुकी योगी सरकार ने चीनी मिलों की चुनौती और किसानों की समस्या समाधान के लिए बड़ा कदम उठाते हुए खजाना खोल दिया। पेराई सत्र 2017-18 के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी मिलों को खरीद के सापेक्ष साढ़े चार रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरकार 500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी। वहीं दूसरी तरफ 30 प्रतिशत से अधिक बकाये का भुगतान करने वाली चीनी मिलों को सस्ते दर पर चार हजार करोड़ रुपये कर्ज देने का फैसला किया है। इस फैसले से चालीस लाख किसानों को लाभ मिलेगा। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में कुल नौ प्रस्तावों पर मुहर लगी। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को खुद इसका ब्यौरा दिया। योगी ने बताया कि चीनी मिलों ने मौजूदा पेराई सत्र में 1111.90 लाख टन गन्ना खरीदा है। यह वित्तीय सहायता की धनराशि पेराई सत्र में चीनी मिल के देय गन्ना मूल्य के सापेक्ष समायोजित करते हुए सीधे किसानों के खाते में दी जाएगी। अगर किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान चीनी मिलों द्वारा अपने स्तर से कर दिया गया है तो वित्तीय सहायता की धनराशि मिल के खाते में भेजी जाएगी।

सरकार ने वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली चीनी मिलों को पेराई सत्र में देय गन्ना मूल्य एवं अन्य देयकों के संपूर्ण भुगतान के लिए 30 नवंबर कट आफ डेट तय की है। हर हाल में इसके पहले भुगतान करना अनिवार्य होगा। योगी ने बताया कि पेराई सत्र 2017-18 में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा क्रय किये गये गन्ना मूल्य का 35454 करोड़ के सापेक्ष अब तक 24649 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है। 10804 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान अभी बाकी है। योगी ने कहा कि देश में उप्र पहला राज्य है जो ऐसी योजना शुरू कर रहा है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में चीनी मिलों का नया सत्र शुरू होगा।

सस्ते दर पर चीनी मिलों को सरकार देगी चार हजार करोड़ कर्ज
गन्ना किसानों का पेराई सत्र 2016-17 और 2017-18 का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए निजी क्षेत्र की चीनी मिलों को सस्ते दर पर कर्ज देने का फैसला किया गया है। चीनी उपक्रमों-2018 को वित्तीय सहायता दिये जाने की योजना के तहत अनुपूरक अनुदान के जरिये चार हजार करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। इस योजना को प्रदेश में राष्ट्रीयकृत, अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों एवं उप्र सहकारी बैंक के माध्यम से लागू किया जाएगा।

योगी आदित्यनाथ ने बताया कि संबंधित बैंक स्वीकृत ऋण की धनराशि चीनी मिल के एस्क्रो एकाउंट में हस्तांतरित करेंगे और यह धनराशि आरटीजीएस के जरिये सीधे गन्ना किसानों के बैंक खाते में उनके बकाया गन्ना मूल्य के सापेक्ष में भुगतान होगी। स्वीकृत ऋण पर पांच प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से साधारण ब्याज देय होगा। इसकी गणना ऋण वितरण की तारीख से होगी। कर्ज वापसी के लिए सरकार ने मासिक किस्तों में अधिकतम पांच वर्ष की अवधि निर्धारित की है। इसकी पहली मासिक किस्त जुलाई 2019 से शुरू होगी। संबंधित बैंक इस योजना के अंतर्गत ऋण वितरण एवं वापसी के लिए अलग खाता संचालित करेंगे। 

कर्ज वापस न करने पर लगेगा 12 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज
सरकार ने चीनी मिलों को नियंत्रित रखने और कर्ज की वसूली के लिए भी कड़े प्रावधान किये हैं। समय से मासिक किश्तों में चीनी मिलों द्वारा ऋण वापस न करने अथवा किस्त के चूक या डिफाल्ट होने की स्थिति में डिफाल्ट किस्त पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा। चीनी मिल द्वारा लगातार छह मासिक किस्त में स्वीकृत ऋण की पुनर्वापसी न होने एवं अंतिम किस्त की देय तिथि के तीन माह के भीतर संपूर्ण ऋण की वापसी नहीं होने की स्थिति में कर्जदार चीनी मिल के विरुद्ध गन्ना एवं चीनी आयुक्त द्वारा वसूली प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। तब ऋण की धनराशि 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भू-राजस्व की भांति वसूल की जाएगी।

30 फीसद भुगतान करने वाली मिलों को ही मिलेगा कर्ज 
गन्ना किसानों का कम से कम 30 प्रतिशत बकाया भुगतान करने वाली चीनी मिलों को ही कर्ज मिलेगा। चीनी मिल इकाई, कंपनी को स्वीकृत कुल ऋण की धनराशि, ऋण आवेदन की तारीख पर पेराई सत्र 2016-17 एवं 2017-18 के बकाया गन्ना मूल्य की धनराशि के बराबर या संबंधित सत्र में देय कुल गन्ना मूल्य की धनराशि का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, उससे अधिक नहीं दी जाएगी। 

63 चीनी मिलें 70 से 80 फीसद कर चुकीं भुगतान
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 119 चीनी मिलें संचालित हैं। इनमें 24 सहकारी क्षेत्र की जबकि शेष निजी क्षेत्र की चीनी मिलें हैं। इनमें 63 चीनी मिलों ने 70 से 80 फीसद गन्ना बकाया भुगतान किया जबकि 42 मिलों ने 50 प्रतिशत से ऊपर और नौ मिलों ने 50 प्रतिशत से कम भुगतान किया है।

 
  

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