चीनी मिलों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के चाबुक का असर कंपनियों के शेयरों पर सोमवार को भी देखने को मिला। चीनी कंपनियों के शेयरों में 10 फीसदी तक की भारी गिरावट देखने को मिली। बंबई स्टॉक एक्सचेंज में चीनी का सूचकांक तीन फीसदी तक लुढक़ गया जबकि सेंसेक्स में 1.5 फीसदी की गिरावट आई। चीनी मिलों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ शेयर बाजार में चीनी कंपनियों के शेयर बुरी तरह पिट रहे हैं तो दूसरी तरफ भारी स्टॉक और बेहतर उत्पादन के अनुमान की वजह से चीनी के दाम भी टूट रहे हैं।
शेयर बाजार में चीनी शेयरों की मिठास गायब होती दिख रही है। पिछले चार कारोबारी दिनों में चीनी सूचकांक में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट आई है जबकि इस बीच सेंसेक्स 2.6 फीसदी लुढक़ा है। शेयर बाजार में सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में चीनी कंपनियों के शेयर ही रहे। पिछले सप्ताह शुरू हुई गिरावट सोमवार को भी जारी रही।
सोमवार को केएम शुगर मिल्स का शेयर 9.9 फीसदी गिरकर 9.9 रुपये, बजाज हिंदुस्तान का शेयर 9.9 फीसदी गिरकर 9.4 रुपये, राजश्री शुगर्स 9.8 फीसदी टूटकर 26.6 रुपये, सिंभावली शुगर्स 8.9 फीसदी गिरकर 13.5 रुपये, पोन्नी शुगर्स 8.3 फीसदी गिरकर 124.2 रुपये, द्वारिका शुगर्स 7.7 फीसदी गिरकर 23.3 रुपये और डालमिया शुगर्स का शेयर 6.7 फीसदी गिरकर 76.8 रुपये पर बंद हुआ।
सीसीआई ने ओएमसी निविदा में हेराफेरी के आरोप में 18 सितंबर को 18 चीनी मिलों और दो चीनी संगठनों - इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) और एथनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन पर 38 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद से इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है।
सीसीआई की कार्रवाई से पहले इस इस महीने चीनी के शेयरों में 36 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। सरकार की विभिन्न रियायतों की घोषणा के कारण शेयरों की कीमतों का संकेत देने वाला कंपोजिट इंडेक्स 4 सितंबर से 17 सितंबर के बीच 36 फीसदी मजबूत हुआ था। यह पिछले चार दिनो में करीब 11 फीसदी टूट चुका है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि चीनी के शेयरों में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है क्योंकि जो सूचना मिल रही है उसमें कहा जा रहा है कि सरकार द्वारा चीनी मिलों की दी गई रियायतों का फायदा गन्ना किसानों को नहीं मिला है। इसलिए इस समय सरकार अब और रियायत देने के मूड में नहीं है।
जबकि चीनी मिलों की हालत पहले से ही खस्ता थी। जुर्माने के बाद निवेशकों को अंदेशा है की कुछ और कंपनियों पर भी जर्मुाना लग सकता है या फिर हेराफेरी के आरोप में इन कंपनियों पर और कार्रवाई हो सकती है जिस वजह से निवेशक चीनी मिलों के शेयर बेच रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाया है और एथनॉल केंद्र स्थापित करने के लिए 4,500 करोड़ रुपये का आसान ब्याज दर वाला ऋण घोषित किया है। विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में देश में रिकॉर्ड 3.2 करोड़ टन चीनी उत्पादन हुआ। अगले विपणन वर्ष में यह उत्पादन 2.6 करोड़ टन की घरेलू मांग के मुकाबले बढक़र 3.5-3.55 करोड़ टन होने का अनुमान है।