खाद्य मंत्रालय ने 20 लाख टन चीनी निर्यात के लिए समय सीमा को आज तीन महीने बढ़ाकर दिसंबर कर दिया है। निर्यात कोटे में से अब तक केवल एक चौथाई चीनी निर्यात को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। सरकार ने रिकार्ड 3.2 करोड़ टन घरेलू चीनी उत्पादन को देखते हुए मार्च में चीनी निर्यात की अनुमति दी थी। मंत्रालय ने मई में मिलों के हिसाब से न्यूनतम निर्यात कोटा आबंटित किया था।
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ‘‘चीनी मिलों को आबंटित न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के निर्यात की तारीख तीन महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी गई है।’’ इसमें कहा गया है कि मिल चालू मौसम 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) में या अगले 2018-19 में उत्पादित चीनी में से यह निर्यात कर सकते हैं। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार अब तक केवल 5 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया। निर्यात में कमी का कारण कच्ची चीनी की उपलब्ध नहीं होना है जबकि वैश्विक बाजार में इसकी मांग है। उद्योग ने कहा है कि उसके पास निर्यात के लिए कच्ची चीनी नहीं है और मंत्रालय से समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया ताकि सीजन 2018-19 से प्राप्त नई कच्ची चीनी निर्यात के लिए उत्पादित की जा सके।
सरकार ने नकदी समस्या से जूझ रहे चीनी मिलों के साथ गन्ना किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2017-18 में बंपर चीनी उत्पादन से इसके दाम नीचे आए जिससे गन्ना किसानों का बकाया रह गया और यह मई अंत में 23,232 करोड़ रुपए पहुंच गया। सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क दोगुना कर 100 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया गया। इसके अलावा मिलों के लिये 20 लाख टन चीनी के निर्यात को अनिवार्य किया गया है।