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गन्ने के दाम बढ़ाना महज छलावा?
Date: 23 Jul 2018
Source: The Business Standard
Reporter: संजीव मुखर्जी
News ID: 34375
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केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा था कि उसने 2018-19 सत्र के लिए गन्ने के एफआरपी मूल्य 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। वहीं सामाजिक कार्यकताओं और नेताओं का कहना है कि चूंकि मूल्य में इस वृद्धि को उच्च रिकवरी दर से जोड़ दिया गया है इसलिए औसत किसानों को इस घोषणा से जितना बताया जा रहा है उससे बहुत ही कम लाभ मिलेगा। निस्संदेह इस घोषणा से केवल उन राज्यों के किसानों को ही फायदा मिलेगा जहां भुगतान के लिए एफआरपी को आधार बनाया जाता है। उत्तर प्रदेश जैसे दूसरे राज्य जहां एसएपी (राज्य सलाहकारी मूल्य) के आधार पर भुगतान किया जाता है वहां किसानों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है क्योंकि एसएपी सामान्यत: एफआरपी दर से अधिक ही होता है। 

सितंबर में समाप्त होने जा रहे गन्ना सत्र 2017-18 के लिए 9.5 फीसदी की औसत आधार रिकवरी पर गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल था। उसके बाद रिकवरी में प्रत्येक 0.1 फीसदी की वृद्धि पर 2.68 रुपये का प्रीमियम देय था। रिकवरी दर  गन्ने से मिलने वाली चीनी की मात्रा होती है। अक्टूबर से शुरू हो रहे गन्ना सत्र 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने न केवल आधार रिकवरी दर 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी है, बल्कि चीनी में अतिरिक्त उत्पादन पर प्रीमियम भुगतान को 2.68 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2.75 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। 2018-19 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।

निम्न गुणवत्ता वाले गन्ने (9.5 फीसदी से कम रिकवरी वाले) के लिए 2018-19 में एफआरपी 261.25 रुपये तय किया था जो कि पिछले सत्र से 6.25 रुपये या 2.4 फीसदी अधिक है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि पिछले सत्र से गन्ने से चीनी की औसत रिकवरी में सुधार हुआ है। इसलिए ऐसे किसान जिन्होंने बढिय़ा गुणवत्ता के गन्ने उगाए हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी था।

 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को दावा किया था कि 2017-18 में परिचालित 550 चीनी मिलों में से करीब 295 या लगभग 54 फीसदी मिलों ने 10 फीसदी या उससे ऊपर की रिकवरी दर हासिल की है। 82 मिलों ने 9.5-10 फीसदी की रिकवरी दर और केवल 127 मिलों ने ही 9.5 फीसदी से नीचे की रिकवरी दर दर्ज की है।

सरकारी गणना के मुताबिक ज्यादातर चीनी मिलों ने करीब 68.54 फीसदी ने 9.5 फीसदी से अधिक की रिकवरी दर हासिल की है अत: उन्हें प्रोत्साहन देना जरूरी था। इससे दूसरी मिलों को भी अपनी रिकवरी दर में सुधार के लिए प्रेरणा मिलेगी और वे किसानों को गन्ने के विकास के लिए निवेश में वृद्धि करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। सरकारी गणना के मुताबिक औसत राष्ट्रीय चीनी रिकवरी दर 10.6 फीसदी रही जिसमें उत्तर प्रदेश की रिकवरी दर 10.20 फीसदी और महाराष्ट्र की रिकवरी दर 11.47 फीसदी रही। 9 फीसदी की रिकवरी दर वाले गन्ने के लिए प्राप्ति में एफआरपी बढ़ोतरी के चलते औसत वृद्धि 6.25 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास या 2.45 फीसदी की होगी। संभवत: ऐसा पहली बार होगा कि कम गुणवत्ता वाले गन्ने या चीनी की कम मात्रा वाले गन्ना उगाने वाले किसानों को कम आमदनी होगी।              

 

 
  

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