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नई ऊंचाई पर पहुंचेगा चीनी उत्पादन !
Date: 17 Jul 2018
Source: The Business Standard
Reporter: Sanjeev Mukherjee
News ID: 34348
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देश में चीनी का उत्पादन चालू चीनी वर्ष में रिकॉर्ड स्तर पर रहने के बाद अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी सीजन में नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। अगले सीजन में चीनी उत्पादन 350 से 355 लाख टन रहने के आसार हैं, जो इस साल से करीब 10 फीसदी अधिक है।  

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के शुरुआती अनुमानों में कहा गया है कि अगर मॉनसून सामान्य रहा तो चीनी सीजन 2018-19 में उत्पादन नए रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। हालांकि अभी तक मॉनसून सामान्य रहा है। 

लगातार दूसरे साल चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन से खुदरा बाजारों में इसकी कीमतें गिर सकती हैं, जिससे गन्ने के बकाया में बढ़ोतरी हो सकती है। सरकार के कई कदम उठाने के बाद चीनी की कीमतों में कुछ सुधार के संकेत दिखे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी परिसंघ (एनएफसीएसएफ) ने 2017-18 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद 2018-19 में फिर भारी उत्पादन होने को लेकर चिंता जताई थी। 

 
इस बीच इस्मा ने कहा कि देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में उत्पादन 2018-19 में बढ़कर 130 से 135 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है, जो इस साल 120.5 लाख टन रहा है। देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन अगले चीनी सीजन में बढ़कर 110 से 115 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है, जो इस साल 107.1 लाख टन रहा है।

इसी तरह कर्नाटक में चीनी उत्पादन 2018-19 में बढ़कर 44.8 लाख टन रहने का अनुमान है, जो इस साल 36.5 लाख टन रहा है। तमिलनाडु में उत्पादन 6 लाख टन से बढ़कर 9 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। इस्मा का कहना है कि गन्ने की ज्यादा उपलब्धता से चीनी का उत्पादन बढ़ सकता है। रकबे में बढ़ोतरी और गन्ने की किस्म सीओ0238 से उत्पादकता में इजाफे से गन्ने की उपलब्धता बढ़ेगी। 

इन अनुमानों को शुरुआती बताते हुए इस्मा ने कहा कि वह जुलाई से सितंबर के दौरान बारिश, जलाशयों में पानी और पूरे देश की उपग्रह तस्वीरों के दूसरे सेट के आधार पर पहला उत्पादन अनुमान सितंबर में जारी करेगा। जून के दूसरे पखवाड़े में हासिल की गई उपग्रह तस्वीरों के आधार पर गन्ने का रकबा वर्ष 2018-19 में 8 फीसदी बढ़कर करीब 54.3 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो 2017-18 में 50.4 लाख हेक्टेयर था।  

 
पिछले महीने केंद्र सरकार ने चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए एथनॉल की कीमत 3 रुपये बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर कर दी। एथनॉल को पेट्रोल में मिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पहली बार मध्यवर्ती या बी-शीरे और सीधे गन्ने के रस से प्राप्त एथनॉल के लिए कीमत 47.49 रुपये प्रति लीटर तय की गई है।
 
सरकार के इस कदम से मिलों को अतिरिक्त उत्पादन के वर्षों में गन्ने के रस से एथनॉल विनिर्माण करने में मदद मिलेगी। अभी तक कीमत केवल सी-शीरे या अंतिम शीरे से उत्पादित एथनॉल के लिए तय की जाती थी। शीरा एक चिपचिपा उत्पाद है, जो गन्ने या चुकंदर को रिफाइन कर चीनी बनाने के दौरान प्राप्त होता है। तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल में मिलाने के लिए चीनी मिलों से एथनॉल खरीदती हैं। 
 
वैकल्पिक और पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता कम करने के लिए वर्ष 2003 में पेट्रोल में 5 फीसदी एथनॉल मिलाने का कार्यक्रम शुरू किया गया था। अब सरकार ने पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है, जिसके लिए 313 करोड़ लीटर एथनॉल की जरूरत है। 
 
इससे पहले सरकार ने चीनी मिलों के लिए करीब 70 अरब रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें नई एथनॉल विनिर्माण इकाई लगाने के लिए वित्तीय सहायता, किसानों को सीधे मदद और सरप्लस चीनी को खपाने के लिए 30 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करना भी शामिल है। 
 
  

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