देश में चीनी का उत्पादन चालू चीनी वर्ष में रिकॉर्ड स्तर पर रहने के बाद अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी सीजन में नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। अगले सीजन में चीनी उत्पादन 350 से 355 लाख टन रहने के आसार हैं, जो इस साल से करीब 10 फीसदी अधिक है।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के शुरुआती अनुमानों में कहा गया है कि अगर मॉनसून सामान्य रहा तो चीनी सीजन 2018-19 में उत्पादन नए रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। हालांकि अभी तक मॉनसून सामान्य रहा है।
लगातार दूसरे साल चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन से खुदरा बाजारों में इसकी कीमतें गिर सकती हैं, जिससे गन्ने के बकाया में बढ़ोतरी हो सकती है। सरकार के कई कदम उठाने के बाद चीनी की कीमतों में कुछ सुधार के संकेत दिखे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी परिसंघ (एनएफसीएसएफ) ने 2017-18 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद 2018-19 में फिर भारी उत्पादन होने को लेकर चिंता जताई थी।
इसी तरह कर्नाटक में चीनी उत्पादन 2018-19 में बढ़कर 44.8 लाख टन रहने का अनुमान है, जो इस साल 36.5 लाख टन रहा है। तमिलनाडु में उत्पादन 6 लाख टन से बढ़कर 9 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। इस्मा का कहना है कि गन्ने की ज्यादा उपलब्धता से चीनी का उत्पादन बढ़ सकता है। रकबे में बढ़ोतरी और गन्ने की किस्म सीओ0238 से उत्पादकता में इजाफे से गन्ने की उपलब्धता बढ़ेगी।
इन अनुमानों को शुरुआती बताते हुए इस्मा ने कहा कि वह जुलाई से सितंबर के दौरान बारिश, जलाशयों में पानी और पूरे देश की उपग्रह तस्वीरों के दूसरे सेट के आधार पर पहला उत्पादन अनुमान सितंबर में जारी करेगा। जून के दूसरे पखवाड़े में हासिल की गई उपग्रह तस्वीरों के आधार पर गन्ने का रकबा वर्ष 2018-19 में 8 फीसदी बढ़कर करीब 54.3 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो 2017-18 में 50.4 लाख हेक्टेयर था।