नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारी स्टॉक और घटती मांग से चीनी का वैश्विक बाजार हलकान है। गन्ना उत्पादक देशों में चीनी का पर्याप्त उत्पादन हुआ है, लेकिन घरेलू चीनी के भारी स्टॉक ने बाजार को निचले स्तर पर ला दिया है। आगामी चीनी वर्ष में गन्ने का बढ़ता बोवाई रकबा चीनी बाजार को रसातल में धकेल सकता है। घरेलू चीनी के निर्यात की संभावनाएं न के बराबर हैं, जिससे उद्योग की चिंताएं बढ़ गई हैं।
डिब्बा बंद शीतल पेय कंपनियों और चीनी का उपयोग करने वाली बड़ी औद्योगिक इकाइयों में चीनी की खपत की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की जा रही है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के चलते विश्व स्तर पर चीनी और उससे बने खाद्य उत्पादों की मांग में लगातार कमी आ रही है। दूसरी ओर चीनी का उत्पादन बढ़ रहा है। ब्राजील के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादन करने वाला देश है। चालू पेराई सीजन में ही चीनी का उत्पादन 320 लाख टन हो चुका है, जिससे घरेलू चीनी उद्योग नकदी संकट के दौर से गुजर रहा है। किसानों को उनके गन्ने का भुगतान करना भी संभव नहीं हो पा रहा है। लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है। सरकारी मदद के बावजूद चीनी का स्टॉक घट नहीं पा रहा है।
निर्यात मांग न होने से घरेलू जिंस बाजार में कीमतें दबाव में हैं। इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर पड़ रहा है। कई तरह की रियायतें व सहूलियतें देने के बावजूद घरेलू चीनी वैश्विक बाजार में पड़ता नहीं खा रही है। दुनिया के सभी जिंस बाजारों में चीनी के वायदा मूल्य घटाकर बोले जा रहे हैं। दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा आयातक देश चीन बना हुआ है। घरेलू चीनी उद्योग का प्रतिनिधिमंडल चीन का दौरा कर चीनी निर्यात की संभावनाएं तलाश चुका है। लेकिन घटे मूल्य पर कई और देश प्रतिस्पर्धा करने को तैयार है।
भारत में गन्ना खेती का रकबा 50 लाख हेक्टेयर से अधिक होता है, जिसमें इस बार और वृद्धि होने का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में 320 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ 39 लाख टन का कैरीओवर स्टॉक मिलाकर कुल उपलब्धता 359 लाख टन हो गई है। इसमें से केवल 250 लाख टन की घरेलू खपत होनी है।
कुल 109 लाख टन का कैरीओवर स्टॉक अगले साल बचेगा, जो आगामी चीनी वर्ष में उद्योग के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर सकता है। उधर, सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश ब्राजील में एथेनॉल की मांग घटने से वहां की मिलों में चीनी का उत्पादन बढ़ गया है।