जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उज्बेकिस्तान से मूंग, गोंद, अखरोट व चना आयात करने के बदले भारत ने उसे चीनी, आम और आलू बेचने की पेशकश की है। कृषिमंत्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच कृषि व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर विचार-विमर्श हुआ। कृषिमंत्री सिंह ने उज्बेक के उप प्रधानमंत्री सुहरोब खोलमुरादोव को कौशल विकास, कृषि मशीनीकरण, ग्रीन हाऊस विकास और पशु पालन जैसे क्षेत्र में सहयोग करने का भरोसा दिलाया।
उज्बेक उप प्रधानमंत्री की केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन से मुलाकात
चर्चा के दौरान सिंह ने उज्बेकिस्तान के नेता को बताया कि कृषि व खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के लिए भारत सबसे उचित देश हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत में किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए एफपीओ गठित करने और सहकारी समितियों का सहारा लिया जा रहा है। भारत अपनी इसमें अपनी विशेषज्ञता से उज्बेकिस्तान को मदद कर सकता है। द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने को लेकर हुई चर्चा में दोनों नेताओं के सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
कृषि क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख करते हुए सिंह ने मिट्टी स्वास्थ्य का परीक्षण करने और विभिन्न सुधारों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इसमें जैविक खेती, फसल बीमा योजना, इलेक्ट्रानिक मंडी का विकास और वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने पर अपनी प्रतिबद्धता जताई। सिंह ने कहा कि भारत अपनी उत्कृष्टता केंद्र की सहायता से ग्रीन हाऊस के विकास में उज्बेकिस्तान को प्रशिक्षण दे सकता है।
कृषि मंत्री ने सरकारी कृषि संस्थानों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और कृषि उपज कारोबारियों के बीच परस्पर संबंध बनाए रखने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि भारत इसमें सहयोग करेगा। पशुपालन क्षेत्र में मिलकर कार्य करने संबंधी अपनी इच्छा भी जताई। भारत उज्बेकिस्तान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्थापित करने के बारे में भी सहायता देने का इच्छुक हैं।