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आपूर्ति बढऩे से घट गए चीनी के दाम
Date: 21 Jun 2018
Source: Business Standard
Reporter: दिलीप कुमार झा
News ID: 31308
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मजबूत सुधार के बाद चीनी की कीमतें फिर से गिरने लगी हैं। ज्यादा उत्पादन की वजह से आपूर्ति बढऩे से चीनी की कीमतों में नरमी आई है।  चीनी की 'एस' किस्म की एक्स-फैक्टरी कीमत दो सप्ताह से भी कम समय में 6.5 प्रतिशत तक गिरकर मौजूदा समय में 2,925 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई है जो 11 जून को 3,125 रुपये पर थी।  वाशी की एग्रीकल्चरल प्रोड्ïयूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) में भी चीनी की एम 30 किस्म की कीमत आज इस महीने के सबसे निचले स्तर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई। चीनी का हाजिर भाव 3,365 रुपये प्रति क्विंटल की ताजा ऊंचाई से लगभग 2 प्रतिशत नीचे आ गया। सरकार द्वारा चीनी क्षेत्र की नकदी किल्लत को दूर करने के लिए 80 अरब रुपये के विशेष पैकेज की पेशकश किए जाने के बाद 13 जून को चीनी की कीमत 3,365 रुपये प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गई थी। 
 
लगभग 3,600 रुपये प्रति क्विंटल की औसत उत्पादन लागत को देखते हुए चीनी की कीमतों में गिरावट से चीनी मिलों का नुकसान बढ़ जाएगा क्योंकि उनकी प्राप्तियों में कमी आएगी और इससे उनकी ऋण पात्रता प्रभावित हो सकती है।  डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक अजित श्रीराम ने कहा, 'चीनी की कीमतों में गिरावट पूरे चीनी उद्योग के लिए दुखद है क्योंकि इसका नकारात्मक परिणाम सामने आएगा और नकदी प्रवाह कमजोर होगा जिससे गन्ना बकाया चुकाने में समस्या पैदा होगी और किसान प्रभावित होंगे।'
 
घरेलू बाजार में चीनी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान के अनुरूप हैं। नाइबोट बाजार पर जुलाई की डिलिवरी के लिए चीनी वायदा 12.75 सेंट प्रति पौंड की अपनी ताजा ऊंचाई से फिसलकर बुधवार को प्रति पौंड 12.23 अमेरिकी सेंट पर आ गया। श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा, 'सरकार द्वारा शुगर पैकेज से मदद मिली है। लेकिन ज्यादा आपूर्ति की समस्या अभी भी बरकरार है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हालांकि चीनी उद्योग में रुझान पिछले कुछ दिनों में काफी बदला है। व्यापार युद्घ के बाद, चीन से सोयाबीन जैसी जिंसों के लिए ऑर्डर ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों के लिए स्थानांतरित हुए हैं। इस वजह से मालभाड़ा बाजार भी प्रभावित हुआ है। हमारा मानना है कि चीनी की कीमतें मौजूदा स्तर से सीमित गिरावट की संभावना के साथ मजबूत होंगी।'
 
इस बीच, सरकार द्वारा घोषित पैकेज से चीनी मिलों के लिए अल्पावधि नकदी समस्याएं बढ़ सकती हैं। लेकिन दीर्घावधि को लेकर समस्या एथेनॉल कीमत में तेजी के बाद दूर हो जाएगी। सितंबर 2018 में समाप्त हो रहे चालू सत्र के लिए भारत का चीनी उत्पादन 3.15 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पूर्ववर्ती पेराई सत्र के 2.03 करोड़ टन की तुलना में 50 प्रतिशत तक ज्यादा है। गन्ने की बंपर पैदावार से चीनी उत्पादन 2.5 करोड़ टन की अनुमानित सालाना खपत की तुलना में अगले वर्ष (अक्टूबर 2018 से शुरू) 3.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पूरे देश में कुल गन्ना बकाया मौजूदा समय में 220 अरब रुपये पर अनुमानित है।
 
  

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