इस्मा का कथन : खराब वित्तीय स्थिति के चलते मिलों पर "10,000 करोड़ बकाया 115.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ अक्टूबर-जनवरी में 138.5 लाख टन उत्पादन रहा था पिछले साल समान अवधि में 17 फीसदी की उत्पादन में कमी आई है पेराई में देरी होने से मौजूदा मार्केटिंग सीजन 2013-14 के पहले चार महीने अक्टूबर से दिसंबर के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 17 फीसदी कम रहा। इस अवधि में 115.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में गन्ने की पेराई देरी से शुरू हो पाने की वजह से उत्पादन में कमी आई है।
किसानों से गन्ने की खरीद के बावजूद मिलों द्वारा लगातार भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस वजह से किसानों की बकाया राशि जनवरी के अंत तक बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये हो गई। इसमें पिछले सीजन की बकाया राशि 3000 करोड़ रुपये भी शामिल है। चीनी मिलों का कहना है कि उत्पादन लागत के मुकाबले चीनी का बिक्री भाव कम होने की वजह से उनके सामने वित्तीय समस्या आ रही है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि इस साल 31 जनवरी तक 115.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। जबकि पिछले साल समान अवधि में 138.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस तरह चीनी के उत्पादन में 16.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस्मा के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई देरी से शुरू होने की वजह से उत्पादन में गिरावट रही।
इस्मा का दावा है कि उत्पादन लागत के मुकाबले मिलों की चीनी बिक्री से आमदनी काफी कम हो गई है। पिछले 14-15 महीनों के दौरान चीनी के दाम 6 से 8 रुपये प्रति किलो तक कम हुए हैं।
इससे मिलों को घाटा हो रहा है। इस वजह से मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान करने में असमर्थ हैं। इस्मा का अनुमान है कि जनवरी अंत तक चालू सीजन का बकाया भुगतान बढ़कर 10000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं कर रही हैं, इस वजह से बकाया राशि और बढ़ सकती है।
चालू सीजन में 31 जनवरी तक महाराष्ट्र में 40.75 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। जबकि पिछले साल समान अवधि में 48.5 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस तरह उत्पादन में 8 लाख टन की कमी आई है। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 35.9 लाख टन से घटकर 27.6 लाख टन रह गया। है। इस्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में चीनी की रिकवरी इस साल काफी कम 6-7 फीसदी मिल रही है। जबकि पिछले साल 8.86 फीसदी रिकवरी मिली थी। प्रति क्विंटल गन्ने से उत्पादित चीनी के आधार पर रिकवरी मानी जाती है।
भारत सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अभी तक चीनी के उत्पादन में कमी आने के बावजूद इस्मा का अनुमान है कि पूरे सीजन में उत्पादन 250 लाख टन तक पहुंच सकता है। पिछले साल 251 लाख टन उत्पादन हुआ था। जबकि चीनी की खपत 230 लाख टन रहने का अनुमान है।