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उत्तर प्रदेश की मिलों में चीनी का उत्पादन इस बार 25 फीसदी घटा
Date: 31 Jan 2014
Source: Business Bhaskar
Reporter: R.S. Rana
News ID: 3068
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समस्या  : भुगतान संकट के कारण इस बार देरी से शुरू हुआ है पेराई सीजन

25.93 लाख टन हुआ है चीनी का उत्पादन इस साल 28 जनवरी तक
34.60 लाख टन हुआ था पिछले साल की समान अवधि में चीनी का उत्पादन
5,571.58 करोड़ रुपये का भुगतान करना था मिलों को 14 दिन पेमेंट के आधार पर किसानों को
2,156.51 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर सकी हैं चीनी मिलें इस दौरान गन्ना किसानों को  

चालू पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) में 28 जनवरी तक उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 25 फीसदी घटकर 25.93 लाख टन का ही हुआ है। इस दौरान राज्य की चीनी मिलों ने किसानों को 14 दिन की पेमेंट के आधार पर 5,571.58 करोड़ रुपये मूल्य का भुगतान करना था लेकिन चीनी मिलें इस दौरान केवल 2,156.51 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर पाई हैं।  

उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देरी से शुरू होने के कारण चालू पेराई सीजन में 28 जनवरी तक उत्तर प्रदेश में केवल 25.93 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 34.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। हालांकि रिकवरी की दर पिछले साल के लगभग बराबर 8.85 फीसदी की आ रही है।

चालू पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई हो रही है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 121 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी। उन्होंने बताया कि राज्य की चीनी मिलों ने चालू पेराई सीजन में अभी तक 2,929.50 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद की है, जबकि पिछले साल इस समय तक 3,907.28 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद की थी।

उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को 14 दिन की पेमेंट के आधार पर किसानों को 5,571.58 करोड़ रुपये का भुगतान करना था लेकिन मिलों ने इस दौरान केवल 2,156 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है।

ऐसे में चीनी मिलों पर किसानों का चालू पेराई सीजन का ही 3,415.07 करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है। बकाये की राशि में सबसे ज्यादा राज्य की प्राइवेट चीनी मिलों पर 3,157.22 करोड़ रुपये है। राज्य की कॉ-ऑपरेटिव चीनी मिलों पर इस दौरान का करीब 251.29 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पेराई सीजन 2012-13 का भी 1,331.96 करोड़ रुपये किसानों का बकाया बचा हुआ है। आर्थिक घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग के नकदी संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार पहले ही 6,600 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण को मंजूरी दे चुकी है। इसका भुगतान किसानों के बकाया पेमेंट के लिए ही किया जाना अनिवार्य है।

 
  

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