कवायद : सीएसीपी की सिफारिश मानकर खाद्य मंत्रालय ने की पहल
खाद्य मंत्रालय ने अगले अक्टूबर से शुरू होने वाले मार्केटिंग सीजन 2014-15 के लिए गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) 10 रुपये बढ़ाकर 220 रुपये प्रति क्विंटल तय करने का प्रस्ताव किया है।
चीनी मिलों को एफआरपी पर किसानों से गन्ना खरीदनी होगा। हालांकि प्रदेश सरकारें इससे उच्च स्तर पर राज्य परामर्श (एसएपी) भी लागू करती हैं। गन्ने के एफआरपी में प्रस्तावित बढ़ोतरी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के अनुरूप ही है।
प्रस्तावित एफआरपी अगले अक्टूबर में नए सीजन के दौरान लागू होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीएसीपी ने उत्पादन लागत, चीनी की ज्यादा उपलब्धता, अंतरराष्ट्रीय मूल्य और अन्य कारकों का अध्ययन करने क बाद गन्ने का एफआरपी 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की थी।
अधिकारी के अनुसार खाद्य मंत्रालय ने सीएसीपी की सिफारिश स्वीकार कर ली है। अब इस प्रस्ताव पर दूसरे मंत्रालयों के सुझाव और टिप्पणियां मांगी गई हैं। जल्दी ही इस प्रस्ताव पर कैबिनेट में विचार होने की संभावना है।
एफआरपी किसानों के लिए गन्ने का गारंटीशुदा मूल्य है। हालांकि प्रदेश सरकारें अपने यहां राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) निर्धारित कर सकती हैं। उन राज्यों में किसानों को मिलों द्वारा एसएपी के आधार पर भुगतान करना होता है। सीएसीपी ने एफआरपी की सिफारिश करते समय आगाह किया था कि एसएपी में किसी भी बढ़ोतरी से चीनी की उत्पादन लागत बढ़ जाएगा।
अब समय आ गया है कि गन्ने के मूल्य के लिए राजस्व-हिस्सेदारी का मॉडल अपनाया जाए। एफआरपी का निर्धारण गन्ना उत्पादकों के समुचित लाभ, उत्पादन लागत और परिवहन खर्च को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। एफआरपी बेसिक शुगर रिकवरी 9.5 फीसदी मानकर तय किया जाता है।
इससे ज्यादा चीनी अनुपात होने पर प्रति 0.1 फीसदी ज्यादा रिकवरी पर 1.46 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा मूल्य देने का प्रावधान है। सरकार को मौजूदा मार्केटिंग सीजन में 241 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है। जबकि पिछले सीजन में 250 लाख टन उत्पादन रहा था। हालांकि उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा ही रहेगा क्योंकि देश में खपत 235 लाख टन रह सकती है।