निर्यात 40 लाख टन रॉ शुगर निर्यात होगा दो सीजन में इंसेंटिव देने पर विचार के लिए अधिकारियों की समिति मिलों को घाटे से उबारने के लिए सरकार संजीदा आयात चीनी के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के आसार पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाएगी सरकार आयात पर आयात करना फायदेमंद नहीं रहेगा शुल्क वृद्धि से आर्थिक घाटे से जूझ रही चीनी मिलों को केंद्र सरकार ने एक ओर तोहफा देते हुए 40 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर इन्सेंटिव देने को हरी झंडी दे दी है।
कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में अनौपचारिक मंत्रियों के समूह (जीओएम) की गुरुवार को हुई बैठक में चालू पेराई सीजन के लिए 20 लाख टन और आगामी पेराई सीजन में 20 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर इन्सेंटिव देने पर सहमति बन गई। साथ ही चीनी आयात को भी हतोत्साहित करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।
चीनी मिलों की वित्तीय दिक्कतों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जीओएम को गठन किया था। बैठक के बाद खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने बताया कि जीओएम की बैठक में 40 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर चीनी मिलों को इंसेंटिव देने पर सहमति हुई है।
चीनी मिलों को इंसेंटिव देने का तरीका क्या होगा, इसके लिए उच्चाधिकारियों की एक समिति का गठन किया जायेगा। गठित समिति तय करेंगी कि कैसे चीनी मिलों को रॉ-शुगर के निर्यात पर इंसेंटिव दिया जाए। उन्होंने कहा कि इंसेंटिव डब्ल्यूटीओ के मानकों के आधार पर दी जाएगी। इसलिए भारत सरकार इसे एक नए उत्पाद के रूप में जारी करेगी।
उन्होंने बताया कि इसमें 20 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर चालू पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) में इंसेंटिव दिया जायेगा तथा बाकी 20 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर छूट आगामी पेराई सीजन 2013-14 में दी जायेगी। इससे चीनी मिलों को चीनी का अतिरिक्त भंडार कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि जीओएम की बैठक में चीनी के आयात को भी हतोत्साहित करने पर सहमति बनी है।
चीनी आयात पर इस समय 15 फीसदी आयात शुल्क है। सूत्रों के अनुसार सरकार चीनी आयात को पूरी तरह से प्रतिबंध तो नहीं लगाएगी, लेकिन आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर देगी, जिससे आयात पड़ते समाप्त हो जाए। केंद्र सरकार ने वर्ष 2007-08 में भी 60 लाख टन चीनी के निर्यात पर करीब 1,450 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी।