उम्मीद : 16 जनवरी को ईजीओएम की बैठक में फैसला होने की संभावना 40 लाख टन रॉ शुगर निर्यात पर इन्सेंटिव देने की योजना 20 लाख टन रॉ शुगर पर चालू सीजन में मिलेगी वित्तीय मदद 1,450 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी वर्ष 2007-08 में घाटे से जूझ रही चीनी मिलों को केंद्र सरकार एक ओर वित्तीय सहायता देने की तैयारी कर रही है। सरकार रॉ-शुगर के निर्यात पर चीनी मिलों को पविहन लागत में सब्सिडी देने की योजना पर विचार कर रही है। कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय मंत्रिसमूह (ईजीओएम) की 16 जनवरी को होने वाली बैठक में इस पर फैसला हो सकता है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि अतिरिक्त चीनी के भंडार को कम करने के लिए सरकार 40 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर इन्सेंटिव दे सकती है।
इसमें 20 लाख टन रॉ-शुगर चालू पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) में निर्यात करने पर छूट दी जायेगी तथा बाकी 20 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर छूट अगले पेराई सीजन 2013-14 में देने की योजना है। उन्होंने बताया कि इस पर 16 जनवरी को होने वाली ईजीओएम की बैठक में फैसला हो सकता है। सूत्रों के अनुसार रॉ-शुगर के निर्यात पर चीनी मिलों को मिल से बंदरगाह तक परिवहन लागत में छूट देने का प्रस्ताव है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2007-08 में भी 60 लाख टन चीनी के निर्यात पर करीब 1,450 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रॉ-शुगर के दाम नीचे बने हुए हैं, इसलिए बगैर इन्सेंटिव के मिलें निर्यात करने में असमर्थ हैं। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2013-14 में देश में चीनी का उत्पादन 250 लाख टन होने का अनुमान है जबकि नए पेराई सीजन के समय करीब 80 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 230 से 235 लाख टन की होती है।
चीनी की कुल उपलब्धता और सालाना खपत को देखते हुए आगामी दिनों में भी चीनी की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। इस्मा के अनुसार अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 31 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 29 फीसदी घटकर 57.39 लाख टन का हुआ है। मिलों में पेराई देर से शुरू होने के कारण अभी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है।