केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीनी उद्योग को बड़ी सौगात देते हुए 70 अरब रुपये के राहत पैकेज को आज मंजूरी दे दी। इससे चीनी उद्योग की तात्कालिक नकदी की समस्या दूर करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही चीनी के लिए 29 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम बिक्री मूल्य तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 11.75 अरब रुपये की अनुमानित लागत से एक साल में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की भी घोषणा की गई।
इस योजना के तहत प्रतिपूर्ति तिमाही आधार पर की जाएगी जिसका भुगतान मिलों की ओर से गन्ना बकाया एवज में सीधे किसानों के खाते में किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस सत्र के लिए परिष्कृत चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय किया है, जिसे बाद में घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रेस नोट में कहा, 'परिष्कृत चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तथा न्यूनतम परिवर्तन लागत के आधार पर किया गया है। एफआरपी में संशोधन के आधार पर खाद्य एवं जन आपूर्ति विभाग चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में भी संशोधन कर सकता है।'
न्यूनतम बिक्री मूल्य तय होने से चीनी की खुदरा कीमतों में तेजी न आए, इसके लिए मंत्रिमंडल ने वर्तमान सत्र (सितंबर 20018 तक) के लिए चीनी मिलों पर भंडारण सीमा लगाने का निर्णय किया है, जिसे खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा बाद में बढ़ाया जा सकता है।
डीसीएम श्रीराम के चेयरमैन एवं वरिष्ठï प्रबंध निदेशक अजय श्रीराम ने कहा, 'उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 34 रुपये प्रति किलो तय करने का अनुरोध किया था। यूपी में चीनी की उत्पादन लागत 35 से 36 रुपये प्रति किलो है, ऐसे में इससेे कम कोई भी कीमत से मिलों को नुकसान होगा। ऐसे में मौजूदा पैकेज से मिलों को 130 अरब रुपये गन्ना बकाया चुकाने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी।'
महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश की तुलना में चीनी की उत्पादन लगात प्रति किलो 1.50 से 2 रुपये अधिक है। इस बीच सरकार ने मिलों द्वारा लिए गए ऋण पर पांच साल की अवधि के लिए 13.32 अरब रुपये ब्याज रियायत का वहन करने का निर्णय किया है। मंत्रिमंडल ने खाद्य एवं सार्वजनिक आपूर्ति विभाग को इस बारे में विस्तृत योजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा है। चीनी मिलों के संगठन इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।
हालांकि चीनी मिलों पर भंडारण सीमा लगाने के निर्णय सही नहीं है क्योंकि यह चीनी की बिक्री पर नियंत्रण लगाने के समान होगा। 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने से अतिरेक चीनी की मात्रा थोड़ी कम होगी जिससे घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार हो सकता है।