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चीनी पर सेस लगाने का मसला अब अटॉर्नी जनरल के पास
Date: 06 Jun 2018
Source: Dainik Jagran
Reporter: Nitin Pradhan
News ID: 30247
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नई दिल्ली (नितिन प्रधान)। चीनी पर पांच फीसद जीएसटी के ऊपर तीन रुपये प्रति किलो की दर से सेस लगाने के मसले पर अब अटॉर्नी जनरल की राय आने के बाद फैसला होगा। वित्त मंत्रालय की मार्फत जीएसटी काउंसिल ने इस मसले पर केंद्रीय कानून मंत्रालय की राय मांगी थी लेकिन मंत्रालय ने अब गेंद अटॉर्नी जनरल के पाले में डाल दी है। उधर, गन्ना किसानों को राहत देने वाले एक पैकेज पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लग सकती है जिसमें बड़ी राशि सेस से ही आनी है।

चीनी उद्योग पर गन्ना किसानों के बकाए की समस्या का हल निकालने को जीएसटी काउंसिल की गत चार मई को हुई बैठक में सरकार ने चीनी पर सेस लगाने का प्रस्ताव रखा था। चीनी पर फिलहाल पांच फीसद जीएसटी लगता है। सेस इससे अलग होगा। सरकार का अनुमान है कि इससे लगभग 6700 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं जिनका इस्तेमाल चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए किया जा सकता है।

बैठक में असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में एक मंत्रिसमूह गठित किया गया था जिसे इस पर फैसला लेना था। मंत्रिसमूह में उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं। लेकिन मंत्रिसमूह की 14 मई को हुई पहली ही बैठक में यह सवाल खड़ा हो गया कि जीएसटी काउंसिल को सेस लगाने का अधिकार है अथवा नहीं। इस बैठक में केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक ने चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया। इसके बाद ही काउंसिल ने कानून और खाद्य मंत्रालय से इस मसले पर सलाह लेने का फैसला किया। फिलहाल कानून मंत्रालय ने इस पर औपचारिक रूप से कोई राय नहीं दी है। हालांकि मंत्रलय के अधिकारी अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव में कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि चीनी से संबंधित कुछ केस अदालत में चल रहे हैं लिहाजा कानून मंत्रालय ने फिलहाल वित्त मंत्रालय व काउंसिल को इस संबंध में कोई राय नहीं दी है।

मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि अटॉर्नी जनरल ही अदालत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए यह मामला उनके दायरे में आता है। लिहाजा जीएसटी काउंसिल और वित्त मंत्रालय की तरफ से कानूनी राय के संबंध में आया प्रस्ताव मंत्रलय ने अटॉर्नी जनरल के पास भेज दिया है।

गौरतलब है कि जीएसटी की व्यवस्था के तहत सिर्फ लक्जरी और सिन यानी अवगुणी वस्तुओं पर ही जीएसटी की अधिकतम 28 प्रतिशत दर के अलावा एक सेस लगाने का प्रावधान है। इसे क्षतिपूर्ति सेस के तौर पर जाना जाता है जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार राज्यों को होने वाली राजस्व क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए करती है। यही वजह है कि अब यह सवाल उठ रहा है कि काउंसिल चीनी पर सेस लगा सकती है या नहीं।

राहत पैकेज पर आज फैसला संभव: चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार ने 8000 करोड़ रुपये का पैकैज तैयार किया है। इस पैकेज पर बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक पैकेज में सेस से मिलने वाली धनराशि शामिल की जाएगी। 1504 करोड़ रुपये की राहत पहले ही सरकार घोषित कर चुकी है, जिसे किसानों के खाते में सीधे जमा कराया जा रहा है।

 
  

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