यूपी शुगर इंडस्ट्री ने नए सीजन के लिए अपना कामकाज शुरू करने के एक महीना के भीतर किसानों को गन्ने की बकाया राशि के 50 फीसदी हिस्से का भुगतान कर दिया है। गन्ने की बकाया राशि ज्यादा होने के कारण राज्य की शुगर इंडस्ट्री बंदी के कगार पर पहुंच गई थी। करेंट सीजन में कुल 1,711 करोड़ रुपये के बकाए में से शुगर मिलों ने तकरीबन आधा हिस्सा यानी 850 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को कर दिया है। गन्ने की ऊंची कीमत और शुगर के दाम में गिरावट के कारण राज्य की शुगर इंडस्ट्री को किसानों को भुगतान करने में दिक्कत हो रही थी। नए शुगर सीजन की शुरुआत यानी अक्टूबर 2013 में गन्ने की बकाया राशि 2,400 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। हालात तब और खराब हो गए थे, जब उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार ने गन्ने की कीमत में कमी नहीं की और इसे पिछले सीजन के बराबर यानी 280 रुपये प्रति क्विंटल पर रखा। इस बीच, राज्य में शुगर की कीमत 32 रुपये प्रति किलो से घटकर 29 रुपये प्रति किलो हो गई। इसके बाद शुगर इंडस्ट्री ने कामकाज बंद रखने का ऐलान कर दिया था। नतीजतन, गन्ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान के लिए राज्य और केंद्र सरकार को कई तरह की राहत योजनाओं का ऐलान करना पड़ा। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने पिछले महीने गन्ने किसानों की बकाया रकम के भुगतान के लिए इंडस्ट्री को 6,600 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मंजूरी दी थी। केंद्र सरकार ने इस रकम पर ब्याज न लेने का ऐलान किया था। शुगर इंडस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की स्कीम से गन्ना की बकाया राशि के भुगतान में तेजी आएगी। इससे पहले राज्य सरकार ने संकट से जूझ रही लोकल शुगर इंडस्ट्री के लिए 219 करोड़ रुपये की राहत का ऐलान किया था। गन्ने के बकाया भुगतान के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में जगह-जगह किसानों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया था। प्रदेश सरकार को किसानों और चीनी इंडस्ट्री के हितों को साधने में काफी पापड़ बेलने पड़े थे।