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News
चीनी के दाम और कंपनियों के शेयरों में उछाल
Date:
23 May 2018
Source:
The Business Standard
Reporter:
Rajesh Bhayani
News ID:
30181
Pdf:
Nlink:
घरेलू बाजार में चीनी के दाम मजबूत होने के साथ ही चीनी कंपनियों के शेयर भी चढऩे लगे हैं। इसकी वजह यह सुगबुगाहट है कि सरकार मुश्किल दौर से गुजर रहे चीनी उद्योग की मदद के लिए नए पैकेज पर काम कर रही है। सरकार किसानों का बकाया चुकाने में इस उद्योग की मदद करना चाहती है। पिछले दो दिनों में सभी हाजिर मंडियों में चीनी के दाम बढ़े हैं। यहां तक कि चीनी कंपनियों के शेयर भी बीते दो दिनों में चढ़े हैं, जो काफी लंबे समय से कमजोर बने हुए थे। बाजार में अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार उन कई प्रस्तावों पर विचार कर रही है, जो उसे उद्योग और प्रमुख राजनेताओं से मिले हैं। इन प्रस्तावों में से एक चीनी मिलों के लिए एक कीमत सीमा तय करना है, जिससे कम पर वे चीनी की बिक्री नहीं कर पाएंगी। इसके साथ यह शर्त जुड़ी होगी कि मिलें गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करेंगी। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक गन्ना बकाया 15 अप्रैल को 216.75 अरब रुपये था।
देश में 20 से 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाए जाने की भी संभावना है, लेकिन इसमें चीनी खरीदने के लिए धन की समस्या आड़े आ रही है। अगर मिलों के लिए चीनी कीमतों की एक निश्चित सीमा तय की जाती है तो मिलों द्वारा धन जुटाने के लिए औनेपौने दामों पर बिक्री रोकने में मदद मिलेगी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बुधवार को बैठक होगी, जिसमें चीनी उद्योग की दिक्कतों के बारे में विचार किए जाने की संभावना है। कारोबारी विशेषज्ञों के मुताबिक एक दिग्गज राजनेता ने सरकार के समक्ष चीनी का बफर स्टॉक बनाने, एथेनॉल की कीमतें बढ़ाने और अन्य उपायों के प्रस्ताव रखे हैं। पिछले दो दिनों के दौरान दिल्ली में चीनी की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। मुंबई में भी दाम बढ़े हैं। नवी मुंबई थोक मंडी में कीमतें 3 फीसदी बढ़कर आज 28.5 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुईं। नई दिल्ली मंडी में चीनी के दाम 6 फीसदी बढ़कर 28 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए।
इस्मा ने भी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में खाद्य विभाग के सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि अगर मिलों का बोझ कम करने के लिए समय पर उपाय नहीं किए गए तो मार्च, 2019 तक गन्ने का बकाया 400 अरब रुपये पर पहुंच सकता है। इस्मा ने दूसरे चरण के चीनी सुधारों को लागू करने को कहा है, जिनमें गन्ने की कीमतों को चीनी की कीमतों पर आधारित बनाना और गन्ने की कीमतें सरकार के तय करने पर रोक लगाना आदि शामिल हैं। ब्राजील जैसे प्रमुख उत्पादक देेशों में मौसम प्रतिकूल बनता जा रहा है, इसलिए दिसंबर तिमाही में कीमतें 15 से 20 फीसदी ऊंची रहने की संभावना है। आईसीई वायदा बाजार में पिछले कुछ दिनों के दौरान कीमतें पहले ही 9 फीसदी चढ़ चुकी हैं और ये 12 डॉलर प्रति पाउंड से ऊपर पहुंच गई हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि दिसंबर तिमाही में औसत कीमत 14.5 डॉलर रहेगी। उस समय भारत से निर्यात करना फायदेमंद हो जाएगा और देश में अति आपूर्ति की स्थिति खत्म होगी।
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