भारी घाटे से गुजर रही चीनी मिलों को राहत देने और गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान कराने के लिहाज से केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। इस बावत आदेश जारी कर दिया गया है।
गन्ने के घोषित उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के हिसाब से मिलों को प्रति क्िवटल गन्ने पर होने वाले नुकसान की भरपायी केंद्र सरकार करेगी।
केंद्र सरकार ने एफआरपी के अनुसार घाटे की भरपाई के लिए मिलों को 1540 करोड़ रुपये देगी जो सीधे गन्ना किसानों के भुगतान के लिए होगा। इसका भुगतान प्रति क्िवटल साढ़े पांच रुपये के हिसाब से किया जाएगा।
वर्ष 2015 में भी चीनी मिलों के सामने यही संकट पैदा हुआ था जब मिलों पर 22 हजार करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य का बकाया हो गया था।
तब भी केंद्र सरकार आगे बढ़कर आई और प्रति क्विंटल गन्ने पर 4.50 रुपये का भुगतान किया गया था। उस वक्त मुश्किलों से जूझ रहीं चीनी मिलों को फायदा हुआ था।
माना जा रहा है कि इस बार भी सरकार ने आगे बढ़कर मिलों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है, जिससे गन्ना किसानों को भी पूरी राहत मिलेगी। बाजार में कीमतें घटने से रोकने के लिए सरकार ने 20 लाख टन चीनी निर्यात करने का फैसला किया है।
वैश्विक बाजार में अपनी चीनी को खपाने के लिए सरकार ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। प्रत्येक चीनी मिल का इस बावत कोटा निर्धारित कर दिया गया है।
रिजर्व कोटा और निर्यात के लिए निर्धारित चीनी को बाहर निकाल कर बाजार में चीनी जारी की जाएगी ताकि बाजार में कुछ सुधार हो सके।
चीनी मिलों पर फिलहाल 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की गन्ने की बकायेदारी हो चुकी है। जबकि चीनी का उत्पादन अनुमान से कहीं अधिक 315 लाख टन होने वाली है।