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News
गन्ना किसानों को सरकार का तोहफा
Date:
03 May 2018
Source:
Business Standard
Reporter:
Sanjeeb Mukherjee
News ID:
30089
Pdf:
Nlink:
सरकार ने धन की तंगी से जूझ रही चीनी मिलों की गन्ना बकाया चुकाने में सहायता के लिए गन्ना किसानों को 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की आर्थिक सहायता को आज मंजूरी दे दी। रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से चीनी की कीमतों में तीव्र गिरावट के कारण यह बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये हो चुका है। इस सहायता के लिए केंद्रीय कोष को तकरीबन 15.40 अरब रुपये व्यय करना होगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मिलों की ओर से इस सहायता का किसानों को सीधे भुगतान किया जाएगा, जिसे पिछले सालों से संबंधित बकाया समेत उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के एवज में किसानों को किए जाने वाले गन्ने के मूल्य से समायोजित कर दिया जाएगा। इस बयान में यह भी कहा गया है कि यह सहायता केवल उन्हीं चीनी मिलों को दी जाएगी जो सरकार द्वारा तय की गई पात्रता की शर्तों को पूरा करती हैं। हालांकि, सरकार ने इसका स्पष्ट रूप में उल्लेख नहीं किया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि इस 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता का संबंध 2017-18 के सीजन में चीनी मिलों के लगभग 20 लाख टन चीनी निर्यात का अपना दायित्व पूरा करने से हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड ने भारत के चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने के कदम पर विश्व निकाय में जाने की धमकी दी है। इस बातचीत के बीच अप्रत्यक्ष रूप से चीनी निर्यात से जुड़ी इस सहायता से विश्व व्यापार संगठन के नियमों से बचने में भी मदद मिलेगी। यह फैसला ऐसे समय में किया गया है जबकि अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्य कर्नाटक में 12 मई को चुनाव होने जा रहे हैं। इस फैसला का स्वागत करते हुए उद्योग की संस्था इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि चीनी की एक्स-मिल कीमतों में गिरावट की वजह से उद्योग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। वर्मा ने कहा कि हालांकि, चीनी कंपनियों का नुकसान बहुत ज्यादा है और इस सब्सिडी से उस नुकसान का एक छोटा-सा हिस्सा ही कम होगा, जिसे कंपनियों को चीनी के एक्स-मिलों के दामों में भारी गिरावट की वजह से सहना पड़ रहा है, लेकिन सरकार द्वारा एफआरपी के एक हिस्से को वहन करने का यह फैसला एक सकारात्मक कदम है।
नैशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि इस प्रोत्साहन से गन्ने की बढ़ती बकाया राशि को कम करने में मदद मिलेगी। नाइकनवरे ने कहा कि इससे घरेलू बाजार में धारणा बदलेगी और चीनी की कीमतों में सुधार में मदद मिलेगी। पिछले महीने मंत्रियों के एक अनौपचारिक दल ने गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में चीनी मिलों की मदद के लिए उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी, चीनी उपकर लगाने और एथेनॉल पर जीएसटी कम करने जैसे विकल्प तलाशे थे।
इस्मा के अनुसार, गन्ने की अधिक फसल की वजह से चालू सीजन में 15 अप्रैल तक भारत का चीनी उत्पादन सर्वकालिक उच्चतम स्तर 2.998 करोड़ टन तक पहुंच गया, जिससे किसानों का बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। 2016-17 के विपणन वर्ष में विश्व के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक भारत का चीनी उत्पादन 2.03 टन रहा। वार्षिक घरेलू मांग 2.5 करोड़ टन होने का अनुमान है। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने मंत्रिस्तरीय दल की बैठक के बाद 23 अप्रैल को संवाददाताओं को बताया था कि गन्ना बकाया करीब 19,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। हमने इस मुद्दे पर चर्चा की है। उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी, चीनी उपकर और एथेनॉल पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने जैसे कई सुझाव दिए गए थे।
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