नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक अहम फैसले से भारी घाटे के दौर से गुजर रहे चीनी उद्योग और गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने किसानों को गन्ने पर साढ़े पांच रुपये प्रति क्िवटल का भुगतान करने का निश्चय किया है। यह धनराशि सीधे गन्ना किसानों के खाते में जमा कराई जाएगी।
इससे चीनी मिलो को अपने ऊपर का बकाया चुकाने में बड़ी मदद मिलेगी। राजनीतिक तौर पर देखें तो गन्ने का भुगतान न होने से किसानों में बढ़ रहा आक्रोश कम होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में बुधवार को यह फैसला लिया गया। चीनी मिलों की मुश्किलें यह थीं कि केंद्र सरकार के घोषित उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के हिसाब से भी चीनी मिलों को गन्ने पर 5.50 रुपये प्रति क्िवटल का नुकसान हो रहा था।
बाजार में चीनी का मूल्य उसके उत्पादन लागत से कम है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से चीनी पर आठ से 10 रुपये प्रति किलो का घाटा उठाना पड़ रहा है।
सरकार के इस फैसले से चीनी मिलों को गन्ने का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी।
जबकि केंद्र सरकार के खजाने पर 1540 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। यह फैसला कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। इसके तत्काल बाद उत्तर प्रदेश में एक संसदीय क्षेत्र कैराना और नूरपुर विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होना है।
कर्नाटक एक बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य हैं, जहां के किसान काफी जागरूक हैं। सीसीईए की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इससे चीनी उद्योग और गन्ना किसानों को फायदा होगा। चीनी का उचित मूल्य न मिलने की वजह से मिलें घाटे की वजह से गन्ने का भुगतान करने में नाकाम हो रही थीं। ऐसे में सरकार ने दोनों को समर्थन दिया है।
चीनी मिलों पर कुल 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया हो चुका है। इसमे अकेले उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी आधे से अधिक है। चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन पिछले साल के 2.03 करोड़ टन के मुकाबले 3.10 करोड़ टन होने का अनुमान है। इसके चलते घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें बहुत नीचे आ गई हैं।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे संकट के दौर से गुजर रहे मिल मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी। चीनी के मूल्य में तेज गिरावट आई है।
35 रुपये प्रति किलो लागत वाली चीनी का बाजार में मूल्य 26 रुपये चल रहा है। वर्मा ने बताया कि 55 रुपये प्रति टन (5.5 रुपये प्रति क्विंटल) गन्ने की सब्सिडी पर कुल 1550 से 1600 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।
अविनाश वर्मा ने कहा चीनी उद्योग गंभीर संकट में है, जिससे उबारने के लिए सरकार को और प्रयास करने होंगे। समस्या के दीर्घकालिक उपायों के बारे में वर्मा ने कहा कि इसके लिए चीनी के बाजार मूल्य से गन्ने का भाव तय करना होगा।