गन्ना किसानों को राहत देने के लिए सरकार किसानों को प्रति टन 55 रुपये डायरेक्ट सब्सिडी देने की तैयारी में है। केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को कृषि मंत्रालय के इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर सकता है। साल 2015 में भी सरकार ने इसी तरह 45 रुपये प्रति टन की सब्सिडी किसानों को मुहैया कराई थी। माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर, सरकार इस पर तेजी से कदम बढ़ा रही है।
कृषि मंत्रालय द्वारा सीधे किसानों के खाते में प्रति क्विंटल पर 5.5 रुपये मुहैया कराने से चीनी मिलों को भी राहत मिलेगी। गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। मिलों से समय पर भुगतान नहीं मिलने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।इसके मद्देनजर हाल ही में मंत्रियों के समूह ने तीन फॉर्मूलों पर विचार किया था। इसमें चीनी बिक्री पर उपकर लगाने, दूसरा किसानों को उत्पाद के लिए सब्सिडी देने और तीसरा एथेनॉल में जीएसटी को कम करने पर विचार किया गया था। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, सेस के लिए 4 मई को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा, जबकि किसानों को तत्काल राहत की जरूरत है। इसी के मद्देनजर, प्रति टन 55 रुपये की सब्सिडी मुहैया कराने का प्रस्ताव मंत्रालय ने कैबिनेट को भेजा है। उम्मीद है, लगातार बढ़ रहे बकाया के दौर में किसानों को राहत देने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करेगा। 20,000 करोड़ पहुंचा गन्ना बकाया चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन 310-315 लाख टन होने का अनुमान है। दूसरी ओर वैश्विक बाजार में कीमतें कम होने से निर्यात में भी तेजी नहीं है। यही वजह है कि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें उत्पादन लागत की तुलना में काफी नीचे बनी हुई हैं। इसका सीधा असर गन्ना किसानों के बकाया भुगतान पर पड़ रहा है। अक्तूबर, 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2017-18 में अभी तक चीनी मिलों पर किसानों की बकाया राशि करीब साढ़े उन्नीस से 20 हजार करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया यूपी की चीनी मिलों पर है। यूपी की चीनी मिलों ने चालू पेराई सीजन में 27 अप्रैल तक राज्य के किसानों से 32,512 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है। मिलों को गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है। ऐसे में राज्य की चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 12,526 करोड़ रुपये हो गई है। गन्ने का रकबा भी बढ़ा कृषि मंत्रालय के अनुसार, फसल सीजन 2017-18 में गन्ने की बुवाई बढ़कर 49.95 लाख हेक्टेयर में हुई थी। जबकि इसके पिछले साल किसानों ने 45.64 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुवाई की थी। गौरतलब है कि इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्तूबर 2017 से मध्य अप्रैल तक चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन 299.80 लाख टन हो चुका है, जबकि अभी भी चीनी मिलों में पेराई चल रही है। इस दौरान यूपी, महाराष्ट्र फिर कर्नाटक में किसान सर्वाधिक परेशानी झेल रहे हैं।