इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में कथित रूप से उन किसानों ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के सामने कई टन आलू फेंक दिए थे, जो पिछले साल 1.5 करोड़ टन की जोरदार फसल के बाद दाम गिरने से व्याकुल थे। हालांकि, बाद में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने इसके पीछे विपक्ष की समाजवादी पार्टी का हाथ होने का दावा किया था। बहरहाल, इस घटना ने राज्य में 'प्रचुरता की समस्याÓ को सामने ला दिया। जहां एक ओर, उत्तर प्रदेश में कृषि और बागवानी उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर आपूर्ति की बाधाओं, कोल्ड स्टोर प्रबंधन और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अभाव में कृषि से किसानों की कम आमदनी और बड़े पैमाने पर कृषि क्षति उजागर हुई है।