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चीनी निर्यात से संभलेंगे दाम !
Date: 09 Apr 2018
Source: Business Standard
Reporter: Sanjeeb Mukherjee
News ID: 30000
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जोरदार उपज की वजह से चीनी के दामों में तीव्र गिरावट रोकने के लिए केंद्र दिसंबर से विभिन्न उपायों की घोषणा कर चुका है, लेकिन उसे इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। 31 मार्च तक गन्ना बकाया 160 अरब रुपये से ऊपर पहुंच चुका है। चीनी मिलों का खुले बाजार में बिक्री कोटा निर्धारित करने के लिए आयात शुल्क दोगुना करके सरकार ने यह प्रयास किया है। कुछ सप्ताह पहले केंद्र ने 20,00,000 टन का एक अनिवार्य निर्यात कोटा तय किया था। अतिरिक्त उत्पादन खपाने के लिए इसका अगले कुछ महीनों में निर्यात किया जाना है।
 
सरकार ने शुल्क रहित आयात अधिप्रमाणन (डीएफआईए) योजना में सितंबर 2018 तक सफेद चीनी के निर्यात की भी अनुमति दी है। इस योजना के तहत सितंबर 2021 के अंत तक आयात मान्य है। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि जब तक इसके तहत कुछ प्रोत्साहन नहीं दिए जाता, तब तक इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। खास तौर पर प्रचुरता के कारण वैश्विक चीनी की कीमतों में पिछले कुछ सालों में जब से तेज गिरावट आई है। हालांकि, कम से कम अभी तो सरकार परिणाम का इंतजार करती हुई लग रही है और उसे लगता है कि निर्यात से दामों में अपने आप मजबूती आ जाएगी इसलिए प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उद्योग का विचार अलग है। केयर रेटिंग्स ने एक हालिया नोट में कहा कि चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर दबाव के बीच चीनी का निर्यात करने के लिए अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी।
 
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने भी कहा कि सरकार ने कुछ अतिरिक्त स्टॉक देश से बाहर भेजने के लिए 20,00,000 टन के अनिवार्य निर्यात कोटे की घोषणा की है, लेकिन वैश्विक चीनी बाजार में दबाव की वजह से चीनी आयातक बंदरगाहों पर लगभग 350 डॉलर प्रति टन (करीब 2,272 रुपये प्रति क्विंटल) दामों की पेशकश कर रहे हैं। अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के दौरान वैश्विक बाजार में लंदन में सफेद चीनी की कीमतें औसतन 25.1 रुपये प्रति किलोग्राम (सालाना आधार पर 28.9 प्रतिशत की गिरावट) और न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी की कीमतें औसतन 20.6 रुपये प्रति किलोग्राम (सालाना आधार पर 28 प्रतिशत कम) रहीं, जबकि मुंबई में स्मॉल ग्रेड की चीनी के दाम औसतन 35.9 रुपये प्रति किलोग्राम (सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत की गिरावट) पर रहे।
 
2013-14 के लिए सरकार ने कच्ची चीनी के निर्यात पर 3.3 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी स्वीकृत की थी जिससे अगले वर्ष तक बढ़ा दिया गया। 2014-15 के दौरान कच्ची चीनी की अधिकतम 14 लाख टन तक की मात्रा केनिर्यात पर प्रोत्साहन राशि को बढ़कर चार रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया। जिन मिलों ने अपने निर्धारित चीनी कोटे का 80 प्रतिशत का निर्यात और एथेनॉल की अपनी आवंटित मात्रा का 80 प्रतिशत का उत्पादान कर लिया था, वे सब्सिडी की पात्र थीं। इसे सीधे उत्पादकों को दिया जाता था।
 
  

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