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चीनी पर निर्यात शुल्क हटा
Date: 21 Mar 2018
Source: Business Standard
Reporter: संजीव मुखर्जी
News ID: 29940
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सरकार ने चीनी पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क हटा दिया है। इसका मकसद चीनी के निर्यात को प्रोत्साहित करना है। लेकिन कारोबारियों और कुछ कंपनियों का कहना है कि यह घरेलू स्तर पर चीनी के अतिरिक्त भंडार को खपाने के लिए पर्याप्त नहीं है और इससे कीमतों में थोड़े समय ही मजबूती आएगी।  अक्टूबर से शुरू हुए 2017-18 सत्र में उत्पादन में व्यापक बढ़ोतरी हुई है और यह 260 लाख टन से बढ़कर 290 लाख टन रहने का अनुमान है। देश में चीनी की खपत 250 लाख टन रहने की उम्मीद है। इस तरह देश में 40 से 45 लाख टन अतिरिक्त चीनी भंडार रहने का अनुमान है। अलबत्ता कारोबारियों का कहना है कि चीनी के निर्यात पर शुल्क हटाए जाने से बांग्लादेश और नेपाल को 1 से 1.5 लाख टन चीनी का निर्यात करने में मदद मिलेगी क्योंकि बाकी देशों में चीनी की कीमत कम है।
 
दुनिया में चीनी के अतिरिक्त भंडार के कारण इस साल न्यूयॉर्क के बाजार में चीनी के वायदा कारोबार में करीब 18 फीसदी की कमी आई है। देश में अधिकांश स्थानों पर मिल में चीनी की कीमत गिरकर 2,900 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है जबकि प्रति क्विंटल उत्पादन की कीमत 3,000 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है। इसका मतलब है कि चीनी मिल को प्रति क्विंटल गन्ने की पेराई पर 400 से 500 रुपये का नुकसान हो रहा है। यही कारण है कि मिल किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रही हैं जिससे 31 दिसंबर, 2017 तक किसानों का मिलों पर बकाया 14,000 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया। मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देशभर में गन्ने का कुल बकाया करीब 21,000 करोड़ रुपये था और वर्तमान गन्ना बकाया भी उसी स्तर पर पहुंचने की आशंका नजर आ रही है। मिलें किसी तरह की निर्यात सब्सिडी दिए जाने की मांग कर रही हैं ताकि 2017-18 और 2018-19 में चीनी का बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा सके। इसके अलावा चीनी वर्ष 2018-19 से अनिवार्य एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को सख्ती से लागू करने से भी मदद मिल सकती है। 
 
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने कुछ समय पहले जारी एक बयान में कहा था, 'चीनी मिलों की उत्पादन लागत 3,500 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल है और इससे कम दाम पर चीनी बेचने से उन्हें नुकसान हो रहा है। वे किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान करने में समर्थ नहीं हैं।' इस्मा ने कहा कि भारत को 2017-18 में कम से कम 20 लाख टन और 2018-19 में 40 से 50 लाख टन चीनी का निर्यात करने की जरूरत है। एक अग्रणी कारोबारी ने कहा, 'आयात शुल्क खत्म करने के आज के फैसले का केवल बाजार और कीमतों के रुझान पर असर पड़ेगा।' 
 
  

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