उम्मीद : अधिकारियों ने इसी हफ्ते टैक्स छूट की घोषणा होने की संभावना जताई निर्यात का गणित उत्पादन में टैक्स छूट से रॉ शुगर की उत्पादन लागत घटेगी टैक्स छूट से मिलें डिस्काउंट देकर निर्यात सौदे करने लगेंगी लागत ज्यादा होने के कारण व्हाइट शुगर पर डिस्काउंट देने मुश्किल एशिया व अफ्रीका में रिफाइनिंग क्षमता होने से रॉ शुगर की बेहतर मांग व्हाइट शुगर का उत्पादन घटने से देश में इसका स्टॉक घटेगा व्हाइट शुगर के बजाय रॉ शुगर के निर्यात की बेहतर संभावनाएं विश्व बाजार में व्हाइट शुगर की सप्लाई ज्यादा होने के कारण भारतीय मिलों को इसके निर्यात दिक्कतें आ रही हैं। इस वजह से केंद्र सरकार चीनी मिलों को रॉ शुगर के निर्यात के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दे सकती है। अगर मिलों को वित्तीय मदद मिलती है तो वे विश्व बाजार में बड़े पैमाने पर निर्यात सौदे कर सकती हैं। इससे विदेश में भाव और गिर सकते हैं। इस समय रॉ शुगर के दाम तीन साल से ज्यादा समय के न्यूनतम स्तर पर बने हुए हैं।
भारत पारंपरिक रूप से व्हाइट शुगर का ही निर्यात करता है। लेकिन विश्व बाजार में इसकी सप्लाई काफी ज्यादा है। एशिया और अफ्रीका में रिफाइनिंग क्षमता बढऩे की वजह से रॉ शुगर के निर्यात की ज्यादा अच्छी संभावनाएं हैं। चीनी के मामले में भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रॉ शुगर का निर्यात बढ़ता है तो विश्व बाजार में दाम और घटना तय है। इस समय रॉ शुगर के दाम तीन साल से ज्यादा समय के न्यूनतम स्तर पर चल रहे हैं।
कारोबारी सूत्रों और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार मिलों के लिए टैक्स में छूट दे सकती है। इसकी घोषणा इसी सप्ताह किए जाने की संभावना है। पुणे की ब्रोकरेज फर्म कमल जैन ट्रेडिंग सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर कमल जैन ने कहा कि अगर सरकार मिलों को रॉ शुगर के उत्पादन में किसी तरह की वित्तीय मदद देती है तो वे छूट देकर निर्यात सौदे कर सकती हैं।
चीनी के उत्पादन में सब्सिडी देने से यह मामला विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में उठ सकता है। लेकिन सरकारी अधिकारियों का माना है कि उत्पादन पर किसी तरह की रियायत दिए जाने से डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन नहीं होगा। गन्ने का खरीद मूल्य बढ़ाए जाने की वजह से मिलें व्हाइट शुगर के निर्यात सौदे करने के लिए कोई डिस्काउंट नहीं दे सकती हैं क्योंकि इसकी उत्पाद लागत ज्यादा हो गई है।
अक्टूबर में नए सीजन की शुरूआत के समय देश में करीब 88 लाख टन चीनी का देश में स्टॉक था। अगले सितंबर तक चलने वाले मौजूदा मार्केटिंग वर्ष 2013-14 के दौरान देश में लगातार चौथे साल चीनी का उत्पादन ज्यादा रहने की संभावना है। इस वजह से घरेलू बाजार में चीनी के भाव कम हैं।
सरकार ने हाल में मिलों को ब्याज मुक्त कर्ज देने का फैसला किया गया है। इस पैसे का उपयोग किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए किया जाएगा। रॉ शुगर के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रियायत दी जाती है तो देश में इसका उत्पादन बढऩे लगेगा। मिलें लागत कम होने के कारण डिस्काउंट देकर इसका निर्यात करने में सक्षम होगी।
दूसरी ओर व्हाइट शुगर यानि रिफाइंड शुगर का उत्पादन कम होगा तो इसकी आपूर्ति सीमित होने से इसका स्टॉक कम हो जाएगा। मुंबई के एक डीलर ने कहा कि इस समय चीनी का निर्यात फायदेमंद नहीं है क्योंकि विदेश में भाव गिर रहे हैं और भारतीय रुपया भी मजबूत हो रहा है।