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एक साल में चीनी शेयरों की मिठास गायब
Date: 13 Mar 2018
Source: Business Standard
Reporter: दिलीप कुमार झा
News ID: 29908
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अच्छी तेजी दर्ज कर चुके चीनी कंपनियों के शेयर अब गिरावट के शिकार हो रहे हैं। पिछले एक साल के दौरान इन शेयरों में 75 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। अधिक उत्पादन की वजह से पारंपरिक बाजारों में कीमतों में भारी गिरावट की वजह से इन शेयरों पर दबाव पड़ा है। गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए चीनी मिलें अक्टूबर 2017 में इस सीजन की शुरुआत के बाद से ही इस आशंका के बीच अपने उत्पादन की बिक्री कर रही हैं कि कीमतें भविष्य में कमजोर बनी रहेंगी। न्यूनतम भंडारण सीमा के साथ साथ निर्यात पहलों के अभाव ने भी आपूर्ति की स्थिति बदतर बना दी है।

रीगा शुगर का शेयर पिछले साल अप्रैल में 39.90 रुपये की ऊंचाई की तुलना में सोमवार तक 74.44 प्रतिशत तक कमजोर होकर 10.20 रुपये पर रह गया। सिंभावली शुगर, मवाना शुगर्स और द्वारिकेश शुगर के शेयरों में भी पिछले साल के उनके संबद्घ ऊंचे स्तरों से 66.80 प्रतिशत, 64.95 प्रतिशत और 64.63 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। उद्योग दिग्गज बजाज हिंदुस्तान का शेयर 46.54 फीसदी तक गिर चुका है और सोमवार को यह शेयर 10.08 रुपये पर बंद हुआ। विल्मर इंटरनैशनल को अतिरिक्त शेयर आवंटित करने वाली श्री रेणुका शुगर्स का शेयर अब तक 31.25 फीसदी टूटकर 15.40 रुपये पर आ चुका है। सोमवार को ज्यादातर चीनी शेयर गिरावट के साथ बंद हुए।
 
चीनी उद्योग महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में गन्ने की ज्यादा पैदावार की वजह से अधिक उत्पादन की समस्या से जूझ रहा है। जलवायु की अनुकूल स्थिति के साथ साथ किसानों द्वारा अधिक पैदावार वाले बीजों को अपनाने से इस बार इन दो बड़े उत्पादक क्षेत्रों में रिकॉर्ड गन्ना और चीनी उत्पादन हुआ।
 
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'चीनी उत्पादन अगले सीजन में भी अधिशेष की स्थिति में रहने की वजह से सरकार को चालू सीजन के लिए 15 लाख टन शुद्घ चीनी और अगले सीजन के लिए 40 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात की अनुमति देने की जरूरत होगी।' उद्योग संस्था इस्मा ने इस साल दूसरी बार चीनी उत्पादन के अनुमान को संशोधित किया है। 
 
जहां चालू पेराई सत्र के शुरू में 2.51 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया गया था वहीं इस्मा ने पहली बार अपना उत्पादन अनुमान फरवरी में संशोधित कर 2.61 करोड़ टन किया और फिर मार्च में इसे 2.95 करोड़ टन कर दिया। हालांकि 2016-17 के दौरान भारत का चीनी उत्पादन 2.03 करोड़ टन पर दर्ज किया गया। चालू वर्ष का चीनी उत्पादन भारत की 2.5 करोड़ टन की अनुमानित खपत से लगभग 45 लाख टन अतिरिक्त है। 
 
पिछले सीजन से लगभग 40 लाख टन के स्टॉक की उपलब्धता को देखते हुए भारत का कुल चीनी अधिशेष 85 लाख टन पर अनुमानित है, जो पूरे भारत की चार महीने से अधिक की खपत के बराबर है। उद्योग के एक जानकार ने कहा, 'फसल की शुरुआती 15 महीने की स्थिति को देखते हुए भारत का चीनी उत्पादन अगले साल भी 2.9-3 करोड़ टन के बीच रहने का अनुमान है। इसका मतलब है कि अगले साल भी 50 लाख टन अतिरिक्त चीनी उत्पादन की संभावना है। 
 
इस तरह से चीनी वर्ष 2019 के अंत में कुल चीनी अधिशेष 1.35 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। उद्योग को दबाव से बचाए रखने और गन्ना किसानों को आसान भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इस अधिशेष चीनी उत्पादन में कमी लाए जाने की जरूरत होगी।' पिछले एक साल में चीनी की कीमतें 19 प्रतिशत तक नीचे आई हैं। वाशी मंडी में थोक में शुगर एम सोमवार को 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी जबकि अप्रैल 2017 के शुरू में यह भाव 4,076 रुपये प्रति क्विंटल पर था। चीनी की कीमतों में गिरावट की वजह से चीनी मिलों पर गन्ना बकाया का बोझ भी बढ़ा है।
 
  

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