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चीनी मिलों को ब्याज मुक्त कर्ज देने केप्रस्ताव को मंजूरी
Date: 27 Dec 2013
Source: Business Bhaskar
Reporter: business Bhaskar Bureau
News ID: 2986
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उद्योग को राहत-सरकार पर भार

3,000 करोड़ रुपये बकाया है मिलों पर किसानों का भुगतान
900 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं शुगर डेवलपमेंट फंड में
6,600 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा चीनी उद्योग को
2,750 रुपये का कुल भार पड़ेगा इस रियायत के चलते
5 वर्ष में कर्ज की अदायगी करनी होगी चीनी मिलों को

वित्तीय संकट से जूझ रहे उद्योग को राहत देने के लिए सरकार की पहल

घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग के नकदी संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 6,600 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण पर मोहर लगा दी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक में चीनी मिलों को इस शर्त के साथ ब्याज मुक्त ऋण मुहैया कराया गया है कि चीनी मिलें इस राशि का इस्तेमाल पूरी तरह से गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए करेंगी।

खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने बताया कि चीनी उद्योग को मिलने वाले 6,600 करोड़ रुपये के कर्ज पर ब्याज का भुगतान शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) से किया जायेगा। चीनी मिलों को कर्ज की अदायगी करने के लिए पांच साल की छूट दी गई है।

इससे करीब 2,750 करोड़ रुपये की भार पड़ेगा। एसडीएफ में इस समय करीब 800 से 900 करोड़ रुपये का फंड मौजूद है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह ने चीनी उद्योग को 7,260 करोड़ रुपये का पैकेज देने का सिफारिश की थी लेकिन खाद्य मंत्रालय ने इसमें 660 करोड़ रुपये की कटौती कर दी।

चीनी की कीमतें लागत से भी कम होने के कारण चीनी उद्योग को भारी घाटा हुआ है जिसकी वजह से पेराई सीजन 2012-13 का ही चीनी मिलों पर किसानों का करीब 3,000 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।

इससे उद्योग के साथ ही किसानों की मुश्किलें भी बढ़ गई थी। सूत्रों के अनुसार चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। इससे जहां चीनी उद्योग को राहत मिलेगी वहीं, किसानों को बकाया भुगतान होने से किसानों में सरकारी साख सुधरेगी।

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह की 18 दिसंबर को हुई बैठक में चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था।

चीनी उद्योग को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में मंत्री समूह का गठन किया था। इसमें वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस, नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह और पेट्रोलियम मंत्री शामिल थे।

 
  

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