थोक बाजार में चीनी कीमतों में गिरावट तथा बिक्री घटने से महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 2,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। राज्य के सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ (राज्य में इसे शक्कर संघ कहा जाता है) के एक अधिकारी ने कहा, चीनी के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) फॉर्मूला के तहत यदि प्रत्येक एक टन गन्ने से रिकवरी 9.50 प्रतिशत रहती है तो मिल को गन्ने की 2,550 रुपये प्रति टन कीमत चुकानी होती है।
रिकवरी दर में इससे ऊपर प्रत्येक एक प्रतिशत की वृद्धि पर 280 रुपये का प्रीमियम देना होता है। अधिकारी ने कहा कि थोक बाजार में कीमतों में गिरावट का मतलब है कि मिलें इस फॉर्मूला के तहत किसानों को भुगतान नहीं कर पाएंगी। उन्होंने बताया कि चीनी मिलों को गन्ने की खरीद के समय किसान को पहली किस्त चुकानी होती है। मिलों को यह भुगतान दो या तीन किस्तों में करना होता है। एक बार भुगतान पूरा होने के बाद मई में खातों को बंद कर दिया जाता है। इस गणित को समझाते हुए उन्होंने कहा, पिछले साल नवंबर से पेराई शुरू करने वाली सहकारी और निजी चीनी मिलों की संख्या 183 थी। जनवरी के मध्य तक मिलों को 480 लाख टन गन्ने की पेराई के लिए 10,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जबकि मिलें अब तक सिर्फ 8,150 करोड़ रुपये का भुगतान कर पाई हैं।