वही केवल अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्होंने सरकारी उपायों का सुझाव दिया है। भारतीय चीनी मिल संघ के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'मुख्य समस्या सरप्लस चीनी है, जो अगले साल आएगी। अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि सरप्लस कितना रहेगा, लेकिन अगले सीजन की शुरुआत में बीते वर्ष का कम स्टॉक रहना बेहतर रहेगा, जिसके लिए भारत को अगले 6 महीनों में 10 से 12 लाख टन चीनी का निर्यात करने की कोशिश करनी चाहिए।' इस्मा ने अनुमान जताया है कि इस साल 2017-18 में 10 लाख टन चीनी का सरप्लस रहेगा। वर्मा का अनुमान है कि सरप्लस चीनी के निर्यात से उद्योग को करीब 30 से 40 अरब रुपये की नकदी मिलेगी। चीनी की एक्स-मिल कीमतें 34 से 36 रुपये प्रति किलोग्राम के लाभदायक स्तर पर रखने में मदद मिलेगी और अगले सीजन की शुरुआत में पिछला स्टॉक कम बचेगा। इस समय महाराष्ट्र में एक्स-मिल कीमत 31 रुपये और उत्तर प्रदेश में 34.50 रुपये प्रति किलोग्राम है।