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News
कीमतों को सहारा देने के लिए राज्य की २५ फीसदी चीनी खरीदेगा महाराष्ट्र
Date:
07 Feb 2018
Source:
Business Standard
Reporter:
रॉयटर्स
News ID:
29811
Pdf:
Nlink:
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने कीमतों में गिरावट रोकने के लिए राज्य में उत्पादित एक-चौथाई चीनी खरीदने की योजना बनाई है। राज्य के एक मंत्री ने यह जानकारी दी है। राज्य सरकार को अपनी इस योजना के लिए करीब 64 अरब रुपये की जरूरत होगी। वहीं मिलों को चीनी की भंडारण लागत वहन करनी होगी। इस सरकारी खरीद योजना से महाराष्ट्र की चीनी मिलों को गन्ना किसानों की बकाया राशि का भुगतान करने में मदद मिलेगी। यह बकाया राशि बढ़कर 30 अरब रुपये तक पहुंच गई है। राज्य को अगली कैबिनेट बैठक में योजना को मंजूरी देनी होगी।
राज्य में सहकारिता एवं विपणन मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा, 'हम हर मिल का 25 फीसदी चीनी उत्पादन खरीदने की योजना बना रहे हैं। सरकारी खरीद से बाजार में उपलब्धता घटेगी और कीमतों में इजाफा होगा।' भारत में चीनी मिलों के लिए गन्ना किसानों को कटाई के दो सप्ताह के भीतर भुगतान करना आवश्यक है। पिछले साल मिलों ने किसानों को विपणन वर्ष 2017-18 के लिए गन्ने की कीमतें इससे पिछले वर्ष के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा देने पर सहमति जताई थी। लेकिन 1 अक्टूबर से नया विपणन वर्ष शुरू होने के बाद चीनी की स्थानीय कीमतें 17 फीसदी गिर गई हैं, जिससे मिलों के लिए गन्ने का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। उद्योग के कुछ अधिकारियों को राज्य पर पडऩे वाले भार के कारण योजना को लेकर संशय है।
वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के मुताबिक विपणन वर्ष 2017-18 में महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन दोगुना यानी 80 लाख टन होने का अनुमान है। विस्मा के अध्यक्ष बीबी थोंबरे ने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार को मिलों से करीब 20 लाख टन चीनी खरीदनी होगी, जिस पर उसे करीब 64 अरब रुपये खर्च करने होंगे। उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि राज्य चीनी खरीदने के लिए इतनी बड़ी राशि आवंटित कर सकता है।' हालांकि सरकार की यह योजना अभी मंजूर न होने से अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने का आग्रह किया। देशमुख ने कहा कि सरकार की तरफ से खरीदी जाने वाली चीनी मिलों को अपने गोदामों में तब तक भंडारित करनी होगी, जब तक राज्य उसे खुले बाजार में नहीं बेचता है। उन्होंने कहा, 'सरकार भंडारण के लिए कोई कीमत नहीं चुकाएगी और स्टॉक को सही स्थिति में रखना मिलों की जिम्मेदारी होगी।' कुछ चीनी डीलरों ने कहा कि महाराष्ट्र की चीनी खरीद से देशभर में इसके दाम बढ़ सकते हैं। इससे श्री रेणुका शुगर्स, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड, द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज और सिंभावली शुगर्स जैसी उत्पादक कंपनियों को मदद मिल सकती है।
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