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मिलों पर बढ़ा गन्ने का बकाया
Date: 23 Jan 2018
Source: Business Standard
Reporter: राजेश भयानी
News ID: 29776
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देश में गन्ना भुगतान की कुल बकाया राशि पिछले महीने के अंत तक अपने सर्वोच्च स्तर 9,576 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इससे पहले इसका सर्वोच्च स्तर दिसंबर 2012 में 7,840 करोड़ रुपये था। इस बकाया राशि में अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों के 3,940 करोड़ रुपये है।  पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 9,526 करोड़ रुपये था। अभी इस बकाया में और बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि चीनी की कीमतों में कमी आ रही है, जिससे चीनी मिलों को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।  वर्तमान सीजन में चीनी मिलों का उत्पादन अनुमान 30 प्रतिशत बढ़कर 2.61 करोड़ टन होने से चीनी की कीमतों में कमी आ रही है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार पिछले सोमवार को उत्पादन 1.35 करोड़ टन पर पहुंच गया है जबकि चीनी का वर्ष 1 अक्टूबर को ही शुरू हुआ है।
 
पिछले वर्ष फरवरी में थोक बाजार में चीनी 41.5 रुपये प्रति किलो थी। 2018 में एक्स मिल कीमत 32.76 रुपये प्रति किलो है, जबकि चीनी मिलों का भाव ही 29 रुपये प्रति किलो है। चीनी सीजन की शुरुआत 1 अक्टूबर से होती है और वर्तमान सीजन के शुरू होते ही मुंबई में थोक में भाव 14.8 प्रतिशत गिर गए।  इस्मा ने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को लिखा है, 'इस सीजन में चीनी खरीद 2.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मिलों में भी 10-11 लाख टन चीनी अलग से रहेगी। इस कारण कीमतों में कमी आ रही है।' 
 

इस्मा ने 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति के साथ ही 20 प्रतिशत का शुल्क हटाने की मांग की है, क्योंकि चीनी की वैश्विक कीमतें भारत से काफी कम हैं।  इस्मा ने चीनी पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क की भी मांग की है, क्योंकि पाकिस्तान में चीनी के दाम काफी कम हैं और वह आने वाले समय में निर्यात बढ़ाने के लिए 11 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी भी दे सकता है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल संघ (एनएफसीएसएफ) ने सरकार को 20 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का सुझाव दिया था। पिछले सप्ताह खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों से मिले उद्योग के एक अग्रणी अधिकारी ने बताया, ' सरकार ने मिलों को सलाह दी है कि वे कम कीमत पर चीनी बेचने की जल्दबाजी ना करें, अन्यथा वे नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएंगी और गन्ना किसानों को भुगतान में समस्या आएगी।'  डीसीएम श्रीराम ने शनिवार को अपने नतीजे घोषित करते हुए कहा कि उसका चीनी व्यापार मुश्किल हालत में है और उसे  200 रुपये प्रति क्विंटल की कर-पूर्व हानि हो रही है।              

 
  

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