इस्मा ने 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति के साथ ही 20 प्रतिशत का शुल्क हटाने की मांग की है, क्योंकि चीनी की वैश्विक कीमतें भारत से काफी कम हैं। इस्मा ने चीनी पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क की भी मांग की है, क्योंकि पाकिस्तान में चीनी के दाम काफी कम हैं और वह आने वाले समय में निर्यात बढ़ाने के लिए 11 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी भी दे सकता है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल संघ (एनएफसीएसएफ) ने सरकार को 20 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का सुझाव दिया था। पिछले सप्ताह खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों से मिले उद्योग के एक अग्रणी अधिकारी ने बताया, ' सरकार ने मिलों को सलाह दी है कि वे कम कीमत पर चीनी बेचने की जल्दबाजी ना करें, अन्यथा वे नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएंगी और गन्ना किसानों को भुगतान में समस्या आएगी।' डीसीएम श्रीराम ने शनिवार को अपने नतीजे घोषित करते हुए कहा कि उसका चीनी व्यापार मुश्किल हालत में है और उसे 200 रुपये प्रति क्विंटल की कर-पूर्व हानि हो रही है।