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अधिक उत्पादन से चीनी फीकी
Date: 17 Jan 2018
Source: Business Standard
Reporter: सुशील मिश्र
News ID: 29761
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चालू पेराई सीजन में बेहतर पेराई के चलते चीनी उत्पादन अधिक रहने की संभावना है। चीनी उत्पादन बढऩे के कारण कीमतों में गिरावट हो रही है। उत्पादन बढऩे के साथ मांग में कमी के चलते महाराष्ट्र में आज चीनी के दाम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे लुढ़क गए। चालू पेराई सीजन में 1 अक्टूबर से अभी तक चीनी के दाम 15 फीसदी गिरे हैं जिनमें फिलहाल सुधार की उम्मीद भी नहीं दिख रही है। हाजिर बाजार में 30 एस किस्म की चीनी के दाम गिरकर 2,990 रुपये प्रति पहुंच गए। एपीएमसी मार्केट में चीनी के दाम 3,150-3,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, लेकिन मंडी चार्ज और दूसरे शुल्क काटने के बाद इसके दाम 3,000 रुपये के नीचे जा रहे हैं। चालू सीजन में चीनी की कीमतों में 15 फीसदी से अधिक की गिरावट हो चुकी है। 
 
दाम कम होने से शुगर मिल्स एसोसिएशन महाप्रबंधक अविनाश वर्मा कहते हैं कि चालू सीजन में पेराई बेहतर हुई है जिससे उत्पादन भी बढ़ेगा जिसके चलते कीमतों में गिरावट हो रही है। एक महीना पहले थोक बाजार में चीनी 3,600-3,700 रुपये प्रति क्विंटल थी जो इस समय 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच चुकी है। एक महीना पहले खुदरा बाजार में चीनी 40-42 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही थी। इस सीजन में कीमतों में अभी तक 15 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।  इस साल चीनी का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा करीब 30 फीसदी अधिक हुआ है। देश में इस साल करीब 2.5 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले 2.03 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश में 12 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 41.73 लाख टन हो चुका है जबकि पिछले साल इस अवधि तक यहां उत्पादन 33.26 लाख टन हुआ था। 
 
उत्तर प्रदेश चीनी मिल्स एसोसिएशन के अनुसार चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर बढ़कर 10.19 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में यह दर 9.87 फीसदी की ही मिल रही थी।  ज्यादा गन्ना पेराई के अनुमानों से इस साल चीनी के अलावा शीरा, रेक्टिफाइड स्पिरिट और खोई जैसे उत्पादों की कीमतों में भी 75-80 फीसदी तक की गिरावट आई है। पिछले साल चीनी मिलों को लाभ मिल रहा था क्योंकि गन्ने की कम उपलब्धता के कारण एक्स फैक्टरी कीमत उत्पादन लागत से करीब 10-12 फीसदी अधिक थी, लेकिन इस साल मिलों को गन्ने की अधिक उपलब्धता के कारण चीनी उत्पादन लागत से 8 से 10 फीसदी कम पर बेचनी पड़ रही है जिससे चीनी मिलों को नुकसान हो रहा है। 
 
  

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