जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पड़ोसी पाकिस्तान की सस्ती चीनी ने घरेलू चीनी उद्योग की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। लेकिन सरकार ने उद्योग को पाकिस्तानी चीनी के आयात होने की संभावना से इनकार किया है। उन्हें भरोसा दिया है कि जरूरत पड़ी तो सीमा शुल्क में और वृद्धि की जा सकती है। बाघा सीमा से सड़क के रास्ते पाकिस्तान की सस्ती चीनी के भारत में पहुंचने की संभावना बनी हुई है।
पाकिस्तानी चीनी के आयात की संभावनाओं के बीच इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार से संपर्क साधा और विलायती चीनी का आयात रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया है। इस्मा के मुताबिक सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि चीनी का घरेलू उत्पादन पर्याप्त है। आयातित चीनी की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ऐसा नहीं होने देगी। चीनी की मांग व आपूर्ति के साथ अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार पर सरकार की कड़ी नजर है।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बताया कि पाकिस्तान अपनी सस्ती चीनी को और सस्ता बनाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने की जुगत में है। इसके लिए उसने निर्यात सब्सिडी का प्रावधान कर दिया है। इसके चलते चीनी की छोटी मोटी खेप बाघा सीमा के रास्ते आई भी। लेकिन पड़ता न खाने की वजह से सौदे होने बंद हो गये। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने केंद्र के साथ राज्य की ओर से भी निर्यात सब्सिडी देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है। लेकिन जिंस बाजार में अटकलों की बयार ऐसी चली कि भारतीय चीनी उद्योग की नींद हराम हो गई है।
घरेलू बाजार में चीनी के मूल्य में गिरावट का दौर चालू हो गया। बाजार की घबराहट को रोकने के लिए चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से तत्काल पुख्ता उपाय करने का अनुरोध किया है। इसके तहत चीनी आयात शुल्क की मौजूदा दर 50 फीसद को बढ़ाकर सौ फीसद करने को कहा है। चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 251 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि कैरीओवर स्टॉक 40 लाख टन रहेगा। इसके बावजूद बाजार में अगले साल यानी वर्ष 2018-19 में चीनी उत्पादन की अनुमानित अधिक मात्रा को लेकर घबराहट है। जबकि अगले साल गन्ना वर्ष में फिलहाल मात्र 15 फीसद बुवाई हो पाई है।