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News
चीनी कंपनियों का लाभ मार्जिन घटेगा
Date:
04 Jan 2018
Source:
Business Standard
Reporter:
Dilip Kumar Jha
News ID:
27825
Pdf:
Nlink:
चीनी मिलों का लाभ मार्जिन बीते साल की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में घटने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि ज्यादा उत्पादन के अनुमानों के बाद थोक और खुदरा बाजारों में चीनी के दाम लगातार घट रहे हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि चीनी की औसत कीमतें 2017 के दिसंबर महीने में वर्ष 2016 के इसी महीने के मुकाबले 7 फीसदी घटी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2017 में चीनी के औसत दाम घटकर 3,470 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए, जो 2016 में इसी महीने 3,733 रुपये प्रति क्विंटल थे।
हालांकि 2017 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में चीनी के औसत दाम उससे पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले करीब 2 फीसदी घटे हैं। चीनी मिलों ने अक्टूबर के अंत में पेराई शुरू की थी। देशभर की चीनी मिलों ने 15 दिसंबर, 2017 तक 69.4 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, उससे पिछले साल की समान अवधि तक 53.5 लाख टन था। इस तिमाही में ज्यादातर बिक्री दिसंबर महीने में होती है और ज्यादातर बिक्री खुदरा खपत के लिए होती है। ज्यादा गन्ना पेराई के अनुमानों से इस साल चीनी के अलावा शीरा, रेक्टिफाइड स्पिरिट और खोई जैसे उपोत्पादों की कीमतों में 75 से 80 फीसदी तक की गिरावट आई है। पिछले साल चीनी मिलों को लाभ मिल रहा था क्योंकि गन्ने की कम उपलब्धता के कारण एक्स-फैक्टरी कीमत उत्पादन लागत से करीब 10 से 12 फीसदी अधिक थी। लेकिन इस साल मिलों को गन्ने की अधिक उपलब्धता के कारण चीनी उत्पादन लागत से 8 से 10 फीसदी कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है।
पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 203 लाख टन रहा था, लेकिन इस साल उत्पादन 25 फीसदी बढ़कर 251 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि इस साल चीनी उत्पादन इससे भी अधिक रहेगा। द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक और कंपनी सचिव बी जे माहेश्वरी ने कहा, 'इस साल अब तक चीनी की कीमतें कमजोर रही हैं, इसलिए चीनी मिलों के मार्जिन पर निश्चित रूप से दबाव आएगा।' पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ज्यादातर मिलों का मुनाफा अच्छा रहा था। अक्टूबर 2017 से वर्तमान पेराई सीजन शुरू होने के बाद चीनी की कीमतों में करीब 15 फीसदी गिरावट आ चुकी है। चीनी की एस किस्म के दाम 3,050 रुपये से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) का अनुमान है कि इस साल स्थायी और श्रम लागत में बढ़ोतरी से चीनी की उत्पादन लागत बढ़कर 37 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। इसका मतलब है कि ज्यादातर मिलों को चीनी की बिक्री में नुकसान हो रहा है। इसके विपरीत पिछले साल चीनी की उत्पादन लागत 33.5 से 34 रुपये प्रति किलोग्राम थी और बिक्री कीमत 36 से 37 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही थी। सूत्रों ने कहा कि जिन चीनी मिलों को बैंकों से कम कर्ज मिलता है, वे किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान करने के लिए मजबूरी में चीनी बेच रही हैं। राज्य सरकारों ने अपने-अपने क्षेत्रों की चीनी मिलों को गन्ने के बकाये का भुगतान करने का निर्देश दिया है, इसलिए चीनी मिलें किसी भी स्थिति में बकाये की राशि को बढ़ाना नहीं चाहती हैं।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मिलों की गन्ना खरीद लागत उन्हें चीनी के मिलने वाले दामों से 2-3 फीसदी ज्यादा है। चीनी सीजन 2016-17 में ऊंची कीमतें और चीनी सीजन 2017-18 में ज्यादा उत्पादन से मिलों के चेहरे पर रौनक नहीं आई है क्योंकि चीनी की कीमतों और गन्ने की लागत के बीच अंतर लगातार कम होता जा रहा है। चीनी सीजन 2017-18 में गन्ने की लागत 11 फीसदी बढऩे और चीनी की कीमतें मामूली घटने के आसार हैं। इसके नतीजतन चीनी सीजन 2017-18 में ज्यादा उत्पादन के बावजूद एबिटा मार्जिन में 200 से 250 आधार अंक की गिरावट का अनुमान है।
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